आए दिन हो रहे हमले पैंथर व रीछ को अपने गांव में देख ग्रामीण उसे अपने स्तर पर खदेडऩे का प्रयास करते हैं। इस बीच वन्य जीव अपनी सुरक्षा के लिए ग्रामीणों पर हमला कर देते हैं। इस हमले में अब तक दर्जनों ग्रामीण घायल हो चुके हैं। यहां तक कि एक बार तो पैंथर को खदेडऩे के प्रयास में वनकर्मी भी बुरी तरह घायल हो चुका है। इन तमाम हालातों की बखूबी जानकारी के बावजूद वन विभाग के जिम्मेदार बेबस नजर आ रहे हैं।
इन गांवों में हो चुके हमले पैंथर व रीछ अब तक धोलिया, रामगढ़, चांग, रातडिय़ा, अमरपुरा, सराधना सहित आस-पास के बाडिय़ों में पहुंच ग्रामीणों पर हमला कर चुके हैं। जबकि पैंथर अब तक दर्जनों पालतू मवेशियों को भी अपना ग्रास बना चुका है। हालात ये है कि ग्रामीण दिल ढलते ही घरों में दुबक जाते है। वे अपने पालतू मवेशियों को भी कड़ी सुरक्षा में रखने लगे हैं।
धोलिया गांव की सरहद में बना लिया डेरा रीछ का जोड़ा अपने दो शिशु के साथ धोलिया गांव की सरहद में स्थायी डेरा डाल चुका है। मादा रीछ अक्सर रात को धोलिया गांव में आकर गूंदे के पेड़ पर चढ़ गूंदे खाने लगती है।
पड़ोसी वन क्षेत्र से बढ़ रही आवाजाही सेंदड़ा वन क्षेत्र से सटा रावली वन क्षेत्र है। बीच मे दीवार नहीं होने से रावली क्षेत्र से पैंथर, रीछ सहित अन्य वन्य जीवों की सेंदड़ा वन क्षेत्र में आवाजाही बढऩे से इनकी संख्या में निरन्तर बढ़ोतरी हो रही है। इस आवाजाही के फेर में आधा दर्जन पैंथर सहित अन्य वन्य जीव सड़क पार करते हुए हादसे के शिकार भी हो चुके हैं।
पर्याप्त बजट नहीं है बजट पर्याप्त नहीं मिलने से हम वन्य जीवों के लिए जंगल में पानी की माकूल व्यवस्था नहीं कर पा रहे हैं। पानी की तलाश में वन्य जीवों का गांवों में पहुंचने का सिलसिला भी जारी है। हम ग्रामीणों को सतर्क रहने की हिदायत दे रहे हैं। अब जब तक पर्याप्त बजट नहीं मिलता हम भी कुछ नहीं कर पा रहे हैं। इधर, सुरक्षा दीवार के अभाव में रावली क्षेत्र से वन्य जीवों की आवाजाही जारी रहने से इनकी संख्या में भी बढ़ोतरी हो रही है। तमाम हालात उच्चाधिकारियों को बता रखे हैं। इससे ज्यादा हम भी कुछ नहीं कर पा रहे हैं।
रोशनलाल, क्षेत्रीय वन अधिकारी, सेंदड़ा रेंज