राजीव गांधी कॉलोनी निवासी आरती आकाश सिकरवार ने बताया कि कभी इतने समय तक बच्चे घरों में नहीं रहते और रहते भी है तो बाहर से नमकीन पीस मंगवाकर खा लिया करते थे। अब जबकि सबकुछ बंद है तो घर में बच्चों के लिए मिर्चीबड़े बना साथ में बैठकर जीमते हैं। इससे घर का स्वाद तो आता ही है पवित्रता भी रहती है।
सामान्यत: सुबह के नाश्ते में बिकने वाले दाल-पकवान के भी कई कद्रदां है। आदर्श नगर निवासी मीना कल्ला ने बताया कि पुत्रवधू के साथ मिलकर दाल पकवान बनाया है। इससे नवविवाहित महिलाओं को भी प्रशिक्षण मिल जाता है और उन्हें भी व्यंजन बनाने में दक्षता हासिल होती है।
कई घरों में दक्षिण भारतीय व्यंजनों की बहार है। भैरूघाट निवासी मुदिता त्रिवेदी व सीमा त्रिवेदी ने बताया कि लॉकडाउन हमारी सुरक्षा के लिए है और इसे सफल बनाना भी हमारे ही हाथ में है। ऐसे में हर दिन तरह-तरह के व्यंजन बनाने में व्यस्त रहती हूं। इससे बच्चों को सीखने को मिलता है और हमें भी हाथ की कारीगरी दिखाने का अवसर मिलता है। मैंने बच्चों की डिमांड पर इडली-सांभर बनाया है। बाहर खाने का मजा भले ही हो, पर पवित्रता का ध्यान नहीं रखा जाता।
टैगोर नगर निवासी राधा अजयसिंह इनदिनों तरह-तरह के नमकीन पीस बनाने में व्यस्त रहती है। उनका कहना है कि दिनभर बैठे-बैठै टीवी देखने और सरकार को कोसने से बेहतर है, घर में ही बच्चों की डिमांड पूरी कर ली जाए। आज बच्चों की डिमांड पर समोसे बनाए हैं। घर में भले ही तेज मसाले नहीं मिलते पर एकदम ताजा एवं शुद्ध नमकीन तैयार होता है। अशुद्ध एवं मिलावटी तेल में पके हुए नमकीन पीस खाने से तो अच्छा है कि घर में बने समोसे खाएं, लॉकडाउन को सफल बनाएं और कोरोना को हराएं।