scriptVIDEO : यहां पैंथर की दहाड़ सुनने आते हैं सचिन तेंदुलकर व प्रियंका वाड्रा, पढ़ें पूरी खबर… | World Tourism Day 2019 Special in Pali Rajasthan | Patrika News
पाली

VIDEO : यहां पैंथर की दहाड़ सुनने आते हैं सचिन तेंदुलकर व प्रियंका वाड्रा, पढ़ें पूरी खबर…

विश्व पर्यटन दिवस विशेष : World Tourism Day 2019 Special in Pali

पालीSep 27, 2019 / 06:35 pm

Suresh Hemnani

VIDEO : यहां पैंथर की दहाड़ सुनने आते हैं सचिन तेंदुलकर व प्रियंका वाड्रा, पढ़ें पूरी खबर...

VIDEO : यहां पैंथर की दहाड़ सुनने आते हैं सचिन तेंदुलकर व प्रियंका वाड्रा, पढ़ें पूरी खबर…

पाली। World Tourism Day 2019 Special in Pali : आज मेरा साथ दो वैसे मुझे मालूम है। पत्थरों में चीख हर्गिज कारगर होगी नहीं। गजलकार दुष्यंतकुमार का यह शेर मरुक्षेत्र के पर्यटन पर सटीक लगता है। पर्यटन को लेकर हर कोशिश यहां उसी चीख की तरह है, जो पत्थरों में कारगर साबित नहीं हो पा रही। पाली जिला पर्यटन की अपार संभावनाओं को समेटे हैं।
यहां स्थापत्य, पुरा सम्पदाओं का खजाना है। भौगोलिक दृष्टि से भी पाली के एक बड़े भू भाग में प्रकृति नाचती नजर आती है। क्षेत्रभर में मंदिर, पुरातत्व स्थल संजोने योग्य है, लेकिन विभागीय लापरवाही के चलते पर्यटन के मानचित्र पर मरुक्षेत्र नदारद ही नजर आता है। सरकारी दृढ़ इच्छा शक्ति के अभाव एवं विभागीय अनदेखी के चलते पुरा दृष्टि से सम्पन्न क्षेत्र होने के बावजूद इस तरफ पर्यटक कम ही रुख कर रहे हैं। हालांकि क्रिकेट सम्राट सचिन तेंदुलकर व कांग्रेस नेत्री प्रियंका वाड्रा भी अरावली की इन वादियों के बीच पैंथरों की दहाड़ सुनने व देखने आ चुकी है।
छुकछुक गाड़ी में सुरम्य लगती अरावली की वादियां
राणावास। घुमावदार मोड पर मंथर गति से छुक-छुक कर चलने वाली मारवाड़-मावली मीटर गेज ट्रेन, कल-कल बहता झरना, बड़े-बड़े पुलों के नीचे बहता पानी, हरियाली की चादर ओढ़े पहाड़, भोले के जयकारे लगाते श्रद्धालु। यह सभी खुबसूरत नजारे आपको देखने का मन हो तो एक बार मारवाड के कश्मीर के नाम से प्रसिद्ध गोरमघाट का सफर कर आइए। जी हां, हम आज बात कर रहे हैं अरावली की वादियों में बसे गोरमघाट की।
ऋषियों की तपोभूमि रही ये भूमि श्रद्धा के साथ पिकनिक स्पॉट के रूप में भी विकसित है। यहां बहते झरने का दृश्य मनोरम और ह्रदय को छू जाने वाला है। पूरे मानसून यहां पर पर्यटकों की रेलमपेल रहती है। प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण अरावली की वादियां मानसून में अपने आप में अलग ही छटा बिखेरती हैं। अच्छी बारिश के बाद अरावली की पहाडिय़ों में हरियाली छा जाती है। यहां पर दो ट्रेन ही जाती हैं। मगर फिर भी पाली, जोधपुर, राजसमंद, ब्यावर, सिरोही, जालोर, नागौर, उदयपुर आदि जगहों से हजारों की संख्या में पर्यटक यहां पर खूबसूरत वादियों को लुफ्त उठाने के लिए आते हैं। गोरमघाट एक छोटा सा रेलवे स्टेशन है। जो मारवाड और मेवाड़ को जोड़ता है। गोरमघाट मारवाड़ का आकर्षक टूरस्टि पॉइंट है। यह इलाका बहुत ही दुर्गम पहाडिय़ों वाला है। यहां तक जाने के लिए रेलगाड़ी ही एक मात्र साधन है। फुलाद के पास स्थित प्रभुदासजी की धुणी पर कार पार्किंग करके करीब पांच किलोमीटर की ट्रैकिंग करके यहां पहुंचा जा सकता है।
पर्यटकों का आकर्षण 182 फीट ऊंचा भीलबेरी झरना
धनला। टॉडगढ़ रावली अभयारण्य काली घाटी वन क्षेत्र जोजावर रेंज के अंतर्गत भगोड़ा बीट में स्थित भीलबेरी जल प्रपात धीरे-धीरे देशी पर्यटकों की पसंद बनता जा रहा है। बारिश के दौरान यहां झरना शुरू हो जाता है जो दो महिने तक अनवरत बहता है।
अगस्त से सितम्बर दो महिनों तक अक्सर यहां पर्यटकों की अधिकतम आवाजाही रहती है। क्षेत्र का सबसे ऊंचा झरना भील बेरी जिसकी 182 फीट की ऊंचाई पर है। इस मनोरम नजारे को देखने के लिए बारिश के मौसम में अक्सर यहां पाली, राजसमद, उदयपुर, अजमेर सहित प्रदेशभर से यहां उफनते हुए झरने को निहारने के लिए पर्यटक आते है। कालीघीटी वनक्षेत्र में दुर्गम पहाडयि़ों के संकरे रास्ते से 4 किलोमीटर का सफर तय करके अरावली की पहाडिय़ों में गहन वन क्षेत्र में स्थित इस प्राकृतिक पर्यटन स्थल तक पहुंचा जा सकता है। डिएफओ वन्यजीव राजसमन्द फतेहसिंह राठौर ने बताया कि पर्यटन के लिए विकसित करते हुए वन विभाग द्वारा यहां विशेष प्रबंध किए गए हैं। यहां जंगली मुर्गों की बहुतायत, दुर्लभ संकटग्रस्त गिद्धों का आश्रय स्थल, भंवरों के छत्तों के समूह, सघन वन क्षेत्र सहित कई विशेषताओं के कारण पर्यटकों की पसंद बना हुआ है।
पर्यटकों की पहली पसंद है ठंडीबेरी
देसूरी। कुंभलगढ वन्यजीव अभ्यारण्य में स्थित ठंडी बेरी पर्यटकों की पहली पसंद बनी है। ठंडीबेरी को देखने के लिए वर्षभर में बडी संख्या में पर्यटक पहुंचते हैं। घाणेराव कस्बे से पांच किलोमीटर दूर स्थित श्रीमुछाला महावीर जैन मंदिर से कच्चे मार्ग से करीब दो किलोमीटर की दूरी पर अभयारण्य के बीचों बीच ठंडीबेरी है। जहां पर वनविभाग की ओर से पर्यटकों के लिए गेस्ट हाऊस बना रखा है। इसके नीचे ठंडीबेरी स्थित है। जिसमें सालभर पानी भरा रहता है। गर्मी के मौसम में भी इस बेरी पर पर्यटकों को शीतलता का एहसास होता है। ठंडीबेरी से निकलने वाली नदी में कई महिनों तक पानी चलता है। जो पर्यटकों को आकर्षित करता है। यहां पाली सहित राजसमंद जिले से भी पर्यटक काफी संख्या में आते हैं।
प्रताप का गौरव
पाली। जिला मुख्यालय पर स्थित जूनीधाम कचहरी मेवाड़ के महाराणा प्रताप की ननिहाल के रूप में पहचानी जाती है। ये ही कारण है कि पाली ने इस स्थल को गौरव दिया और यहां पर महाराणा प्रताप की अश्वारूढ़ प्रतिमा स्थापित की गई। हालांकि, विदेशी पावणों की नजर से अभी भी ये स्थल दूर ही है।

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