इस तरह किया डस्टबिन घोटाला मामला हरियाणा राज्य के महेन्द्रगढ़ ब्लॉक की ग्राम पंचायत भुंगारका का है। करीब तीन साल पहले हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर से शिकायत की गई थी जिसमें भुंगारका के सरपंच जगतसिंह व पंचायत सचिवों में डस्टबिन खरीद में धांधली तथा पंचों के फर्जी हस्ताक्षरों से शराब का ठेका खुलवाने के आरोप लगाए गए थे। खट्टर ने विजिलेंस जांच का आदेश दिया। जांच में पाया गया कि रिकॉर्ड और भुगतान रजिस्टर के अनुसार 200 कूड़ेदान खरीदे गए हैं। भौतिक सत्यापन में 100 कूड़ेदान मिले। जब इस बारे में सरपंच से पूछताछ हुई तो कहा कि 100 कूड़ेदान चोरी हो गए हैं। चोरी होने की पुलिस में रिपोर्ट नहीं की, इसलिए सरपंच की बात को झूठा माना गया। डस्टबिन की खरीद प्रक्रिया भी नियमानुसार नहीं मिली।
हाईकोर्ट में पंचों ने सरपंच को दोषी बताया पंचों ने जांच में मौखिक रूप से कहा कि शराब का ठेका खुलवाने के लिए उनके फर्जी हस्ताक्षर किए गए हैं। इसके बाद सरपंच ने पंचों के शपथपत्र प्रस्तुत करके हस्ताक्षर करने की बात कही। विजिलेंस ने शिकंजा कसा तो सरपंच हरियाणा एवं पंजाब उच्च न्यायालय की शरण में चला गया। हाईकोर्ट में पंच फिर पलट गए और सरपंच को दोषी बताया। दोनों मामलों में दोनों पंचायत सचिवों की मिलीभगत स्पष्ट रूप से पाई गई। सरपंच और पंचायत सचिव की सहमित से ही कोई भुगतान और कार्य होता है।
जमानत न मिलने पर गिरफ्तार दोनों पंचायत सचिवों ने न्यायालय से अग्रिम जमानत लेने का प्रयास किया, लेकिन सफलता नहीं मिली। इसके बाद विजिलेंस ने पंचायत सचिवों व सरपंच को नोटिस भेजकर पेश होने के निर्देश दिए। पेश न होन पर विजिलेंस निरीक्षक नवलकिशोर शर्मा ने पंचायत सचिव मूलचंद और उमेश कुमार को गिरफ्तार कर लिया।
डस्टबिन विक्रेता ने 3.80 लाख रुपये लौटाए पंचायत ने नारनौल नसीबपुर की एक फर्म से डस्टबिन खरीदे हैं। फर्म से भी पूछताछ की गई। फर्म ने कहा कि पंचायत ने 200 डस्टबिनों का चेक दिया था, किन्तु 100 खरीदे हैं। इसलिए बची हुई राशि 3.80 लाख रुपये पंचायत को लौटा दी। इस कारण फर्म के निदेशक को हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत मिल गई।