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प्रतिमाओं को अंतिम रुप देने में जुटे कलाकार, घर घर होगी गणपति की पूजा

जिले भर में गणेशोत्सव की तैयारिया जोरों पर, बाजार में जगह-जगह रखी विध्नहर्ता की प्रतिमाएं। धूम-धाम से मनाते है गणेशोत्सव पर्व।

पन्नाSep 11, 2018 / 08:28 pm

Rudra pratap singh

Artists' last touch to idols, ganapati to adorn homes

Artists’ last touch to idols, ganapati to adorn homes

पन्ना. शहर में जन्मष्टमी के त्योहार के बाद, गणेश उत्सव पर्व की तैयारियां जोरों पर है। जहां एक ओर गणेश उत्सव के लिए नगर भक्तों की टोलियों के द्वारा चंदा के लिए सघन संपर्क जारी है। वहीं इस उत्सव में पूजा के लिए रखी जाने वाली भगवान विध्नहर्ता की मूर्तियों को अंतिम रुप देने के लिए कलाकार पशीना बहा रहा है।
शहर के डांयमंड़ चौराहे के पास राजस्थाना के उदयपुर से आएं दर्जनों कलाकारों के द्वारा पीओपी से सैंकड़ों मूर्तियों का निर्माण रोजना किया जा रहा है। वहीं कलाकारों ने बताएं कि उत्सव के दौरान मूर्तियों की अच्छी खासी बिक्री हो जाती है। फिर इसके बाद मूर्तियों का व्यवसाय मंदा हो जाता है। बीते कई दिनों से हो रही झमाझम बारिश के कारण मूर्ति निर्माण का कार्य प्रभावित हुआ है।
कलाकारों ने बताएं कि बारिश के दौरान जिन मूर्तियों को सूखने के दो से चार घंटें समय लगता है, बारिश के कारण दो से तीन दिन तक का समय लग जाता है। इसके बाद मूर्तियों के रंगरोगन के कार्य व फाइन फिनिङ्क्षसग के में भी वक्त लगता है। गणेश उत्सव पर्व के लिए महज गिने चुने दिन बचे है। जिसकी लिए उत्सव समिति के सदस्यों के द्वारा मनपंशद के मूर्ति प्रतिमाओं का ऑडर दे रहे है। वहीं कलाकारों ने बताएं कि मूर्ति निर्माण के दौरान ग्रामीण क्षेत्रों से लोग आते है, जिसमें विभिन्न प्रकार से साईजों के मूर्ती का ऑडऱ्र देते है। उसी के अनुरुप बनाई जा रही है।
तीन साईजों की मूर्तियां उपलब्ध
गणेश उत्सव पर्व में प्रथम पूज्य भगवान गणेश की तीन प्रकार की मूर्तियां बाजार में उलब्ध है। नगर के डायमंड़ चौराहा के पास मूर्ती निर्माण करने वाले कलाकार लक्ष्मण कुमार प्रजापति व उनकी सहयोगी नैनकी बाई ने बताया कि छोटी, बड़ी व मध्यम साईज की मूर्तियां है। जिनकी 50 रुपए से कीमत शुरु होकर 2000 रुपए तक की है।
साथ ही उन्होंने बताएं कि सभी मूर्तियां पीओपी की बनाई जाती है। पीओपी की मूर्तियों का निर्माण कम लागत व कम समय में तैयार होजाती है। उन्होंने बताएं कि सीजन में कभी कभार अच्छा व्यवसाय हो जाता है। यदि मूर्तियां नहीं बिक पाई तो किराये का मकान लेकर यही स्टाक कर जाते है।
जिला प्रशासन के आदेश के बाद भी धडल्ले से हो रहा निर्माण कार्य
पीओपी से मूर्तियों का निर्माण कार्य करने वाले कलाकारों पर सख्ती बरतने के लिए, जिला प्रशासन के द्वारा बैठक की गई थी। वहीं बैठक का असर बेअसर दिखाई दे रहा है। शहर में लगभग दर्जनों की संख्या में मूर्ती का निर्माण करने वाले कलाकारों का द्वारा किया जा रहा है। वहीं शहर के लगने वाले विभिन्न बाजारों मे ंपीओपी से बनी मूर्तियों की बिक्री भी की जा रही है।
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