इसमें बताया गया, नदी के टाइगर रिजर्व के अंदर वाले क्षेत्र का भ्रमण पैदल करने किया। प्रतिबंध होने पर इस क्षेत्र में उन्होंने सफारी के माध्यम से नदी के किनारे के क्षेत्रों का भ्रमण किया। उन्होंने बताया, एमपी हो या यूपी दोनों जगहों पर बड़े पैमाने पर खनन किया जा हा है। केन किनारे देश का सबसे बड़ा खनन कारोबार हो रहा है। खनन कारोबार में नियम कानूनों को भी ताक पर रखा जा रहा है। एमपी-यूपी सीमा में स्थित ग्राम गरबा खनन का गढ़ है। गूगल मैप में भी देखने पर यहां चीटियों के समान ट्रकों की लाइन दिखती है।
केन-बेतवा लिंक परियोजना के मूर्त रूप लेने से गंगा और यमुना नदियों के जलस्तर पर भी विपरीत असर पड़ेगा। जैसे सहायक नदियों और नालों के दम तोडऩे से केन नदी सूख रही है। इसी तरह से केन यमुना और गंगा की सहायक नदी है। यदि केन का जल स्तर घटेगा तो गंागा और यमुना नदियों के जल स्तर पर भी इसका असर पड़ेगा। बांध बनने से नीचे के क्षेत्र के गांव सूखा प्रभावित होंगे और ऊपर के गांव बाढ़ प्रभावित। परियोजना से पन्ना को सबसे अधिक नुकसान होगा। केन नदी में बरियारपुर और गंगऊ डैम बनने के बाद नदी में बहुत बड़ा नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। बांधों के नीचे के गांव को पर्याप्त पानी नहीं छोड़ा जाता है। इससे वे सूखे हो रहे हैं, जबकि बांध के ऊपर के हिस्से के गांव बारिश के दौरान भराव क्षेत्र के कारण प्रभावित होते हैं। उनका आरोप है कि केन नदी में बाढ़ की स्थिति का आकलन किए बगैर बहुद्देशीय बांधों का निर्माण कराया जा रहा है। पवई बांध योजना से प्रभावित लोगों को मुआवजा दिए बगैर ही काम को आगे बढ़ाया जा रहा है।
केन-बेतवा लिंक परियोजना के मूर्त रूप लेने से गंगा और यमुना नदियों के जलस्तर पर भी विपरीत असर पड़ेगा। जैसे सहायक नदियों और नालों के दम तोडऩे से केन नदी सूख रही है। इसी तरह से केन यमुना और गंगा की सहायक नदी है। यदि केन का जल स्तर घटेगा तो गंागा और यमुना नदियों के जल स्तर पर भी इसका असर पड़ेगा। बांध बनने से नीचे के क्षेत्र के गांव सूखा प्रभावित होंगे और ऊपर के गांव बाढ़ प्रभावित। परियोजना से पन्ना को सबसे अधिक नुकसान होगा। केन नदी में बरियारपुर और गंगऊ डैम बनने के बाद नदी में बहुत बड़ा नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। बांधों के नीचे के गांव को पर्याप्त पानी नहीं छोड़ा जाता है। इससे वे सूखे हो रहे हैं, जबकि बांध के ऊपर के हिस्से के गांव बारिश के दौरान भराव क्षेत्र के कारण प्रभावित होते हैं। उनका आरोप है कि केन नदी में बाढ़ की स्थिति का आकलन किए बगैर बहुद्देशीय बांधों का निर्माण कराया जा रहा है। पवई बांध योजना से प्रभावित लोगों को मुआवजा दिए बगैर ही काम को आगे बढ़ाया जा रहा है।