नीलामी में इसकी उच्चतम बोली 3 लाख 72 हजार प्रति कैरेट तक पहुंची। इस पर हीरा कार्यालय ने इसे नहीं बेचा। इस बार नीलामी में रखे गए अधिकांश हीरे पेंडिंग में चले गए हैं। इसी के साथ नीलामी प्रक्रिया भी समाप्त हो गई।
दूसरे दिन बिके 21 नग हीरे हीरा कार्यालय के अनुसार दूसरे दिन की नीलामी में 26.11 कैरेट के 21 नग हीरों की बिक्री हुई। जिनसे 8 लाख 88 हजार 537 रुपए राजस्व की प्राप्ति होगी। इससे पहले गुरुवार को 18.08 कैरेट वजन के 43 हीरे बिके थे। जिनसे 1 लाख 18 हजार 207 रुपए का राजस्व मिलना है।
इस प्रकार दो दिन की नीलामी में कुल 44.19 कैरेट के 64 हीरों की बिक्री हुई। जिनसे 10 लाख 6 हजार 744 रुपए के राजस्व की प्राप्ति होगी। इस बार देखा यह गया कि अधिकांश व्यापारी बड़े हीरे में दांव लगाने का इंतजार करते रहे और छोटे हीरे की नीलामी में रुचि नहीं ली। इससे वाजिब दाम नहीं मिल पाने के कारण बड़ा हीरा भी नहीं बिक पाया। 126 हीरे पेंडिंग में चले गए हैं।
पिछली नीलामी में बिके थे 3.86 करोड़ के हीरे इससे पूर्व दिसंबर 2018 में हुई हीरों की नीलामी में 3.86 करोड़ से अधिक कीमत के हीरों की बिक्री की गई थी। यह किसी एक नीलामी में सबसे अधिक कीमत में बिक्री का रिकॉर्ड था। इससे पहले अधिकतम बोली करीब एक करोड़ रुपए तक पहुंची थी।
हीरा कार्यालय के अनुसार दिसंबर में हुइ नीलामी में 203.26 कैरेट के 161 हीरों को रखा गया था। इनमें से 165.43 कैरेट के 131 हीरों को व्यापारियों ने खरीदा था। इन हीरों की बिक्री 3 करोड़ 86 लाख 4 हजार 508 रुपए में की गई थी। इसमें वह पन्ना के इतिहास का दूसरा सबसे बड़ा हीरा 42.59 कैरेट का शामिल है जो रिकॉर्ड 6 लाख रुपए प्रति कैरेट के हिसाब से 2 करोड़ 55 लाख रुपए में बिका था। इस हीरो ने अपनी बिक्री के साथ ही कई रिकॉर्ड बना लिए।