जानकारी के अनुसार केन बेतवा लिंक परियोजना से पन्ना टाइगर रिजर्व के कोर जोन का बड़ा हिस्सा डूब क्षेत्र में आ जाएगा। इससे होने पाले नुकसान से सीइसी को अवगत कराने वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (डब्ल्यूआइआइ) की रिसर्च विंग ने टीम को पॉवर प्वाइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से बिंदुओं की जानकारी दी। पन्ना टाइगर रिजर्व प्रबंधन ने भी प्रेजेंटेशन में टाइगर रिजर्व की चिंताओं से टीम को अवगत कराया।
आधा दर्जन गांवों में पहुंची सीइसी चार सदस्यों का दल केन बेतवा लिंक परियोजना से प्रभावित ग्राम भुसौड़, गंगऊ डैम, डोढऩ पहुंचा। जहां बांध बनाया जाना है उसे देखा और लोगों से परियोजना को लेकर चर्चा की। बताया गया कि डैम के कारण गांव के लोग विस्थापन के लिए तैयार है। इसके अलावा ग्राम सुकवाह देखा और श्यामरी नदी का निरीक्षण भी किया। निरीक्षण के दौरान टीम के सदस्य ग्रामीणों से परियोजना के संबंध में चर्चा भी करते जा रहे थे।
दूसरे दिन टीम के खजुराहो लौटने के बाद पन्ना परिवर्तन मंच के लोग मिले और पानी की समस्या संबंधी चिंताओं की जानकारी दी। मंच के अंकित शर्मा ने बताया कि बांध बनने के बाद केन का पानी बेतवा में डाला जाना है। बेतवा का पानी केन में नहीं आएगा। इसके अलावा पार्क के ऊपरी हिस्से में पूर्व से ही बांध बन रहे हैं। इससे नए बांध की जरूरत नहीं है।
जहां तक बुंदेलखंड में पानी की चिंता की बात है तो बरियारपुर बांध की दाईं नहर बनाकर समस्या को हल किया जा सकता है। इसके साथ ही यहां के तालाबों के जीर्णोद्धार में राशि खर्च करके भी पानी की समस्या का समाधान किया जा सकता है। इस अवसर पर दिलहर कुमारी, श्यामेंद्र सिंह सहित अन्य शामिल रहे।