नगर पालिका स्वच्छता में थ्री स्टार रेटिंग के लिए क्लेम तो कर रहा है पर अभी तक तैयारियां उस स्तर की नहीं दिख रही हैं जिलस स्तर की होनी चाहिए। ऐसे में कया नगर पालिका को थ्री स्टार में स्थान मिल पायगा। लोगों में स्वच्छता को लेकर जागरूकता की कमी इसमें सबसे बड़ी बाधा बन रहा है।
इस साल ज्यादा जटिल होता गया अभियान में स्वच्छता सर्वे को ज्यादा प्रतिस्पर्धी और चुनौतीपूर्ण बनाया गया है, लेकिन उस हिसाब से प्रयास नहीं किए जा रहे हैं। इस बार स्टार रेटिंग, ओडीएफ प्लस समेत प्रतिदिन हो रहे प्रयासों की मॉनीटरिंग की जा रही है। इसके बाद भी शहर में पर्याप्त संसाधन नहीं हैं। मुख्य मार्केट क्षेत्रों में दुकानदारों और खरीदारों के लिए सार्वजनिक शौचालय और यूरिनल नहीं हैं। इससे लोगों को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
हालात यह है कि जागरूकता की कमी के कारण नगर के कुछ हिस्सों में लगाए गए डस्टबिन सहित स्टैंड भी लोग उखाड़कर ले गए हैं। इससे भी तैयारियां प्रभावित हो रही हैं। हालात यह है कि मार्केट क्षेत्र में सफाई कर्मियों के सुबह साफ करने के बाद करीब 10 बजे जब दुकानें खुलती हैं तब व्यापारी अपनी दुकानों का कचरा सड़कों पर फेंक देते हैं। इससे हालात जस के तस बने रहते हैं।नगर पालिका द्वारा लापरवाह लोगों के खिलाफ फाइन भी लगाने की बात कही गई है। पॉलीथिन का उपयोग भी नगर में प्रतिबंधित कर दिया गया है।
13 टन कचरा निकलता है प्रतिदिन शहर में नगर के 50 हजार से अधिक आबादी वाले शहर में प्रतिदिन करीब 13 टन कचरा नगर से निकलता है। जिसके सफाई, परिवहन और निस्तारण के लिए नगर पालिका के पास 116 सफाई कर्मी हैं।
नगर के 22 वार्डों से कचरा एकत्रित करने के लिए नगर पालिका के पास 13 मिनी कचरा संग्रहण वाहन हैं, जिनमें जीपीएस लगा हुआ है। उक्त वाहनों के अलावा नगर पालिका ने तीन इ-व्हीकल भी खरीदे हैं वे अभी तक मिल नहीं पाए हैं।
ये वाहन वहां से कचरा एकत्रित करेंगे, जिन संकरी गलियों में नगर पालिका के कचरा संग्रहण करने वाले वाहन नहीं जा पाते हैं। नगर पालिका कचरा प्रसंस्करण केंद्र बाइपास, छत्रसाल पार्क और सुदर्शन पार्क में प्रति तीन माह में करीब तीन टन खाद बनाती है। शेष कचरे को कटी भटिया की पत्थर खदान के गड्ढे में डंप किया जा रहा है।
शहर में सिर्फ 14 शौचालय शहर में सिर्फ 10 सार्वजनिक और 4 सामुदायिक शौचालय ही मौजूद हैं। सबसे बड़ी समस्या मार्केट क्षेत्र में शौचालय नहीं होने से व्यापारियों, खरीदारों और अन्य लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इस संबंध में गणेश मार्केट का मामला लोकोपयोगी लोक अदालत में भी गया था।
शहर के अजयगढ़ चौराहे से बलदेवजी मार्केट, शहर का मुख्य मार्केट क्षेत्र है लेकिन यहां ही यूरिनल और प्रसाधन की समस्या बनी हुई है। शहर में साफ-सफाई को लेकर भी नगर पालिका को आम जनता से अपेक्षित सहयोग नहीं मिल पा रहा है। हालंाकि इस संबंध में सीमएओ अरुण पटैरिया और नोडल अधिकारी सब इंजीनियर उजमा कई बार लोगों से सहयोग की अपील कर चुकी हैं। इसके बाद भी कोई असर नहीं दिख रहा है।
इन प्रयासों से बदल सकते हैं तस्वीर स्वच्छता अभियान को लेकर नगर पालिका और लोगोंको जोड़ा जाए। जब तक टीम नहीं पहुंच रही है तब तक अभियान की मॉनीटरिंग के लिए जिला प्रशासन के सहयोग से रणनीति बनाई जा सकती है। हर दिन स्वच्छता को लेकर कोई न कोई गतिविधि शहर में आयोजित की जानी चाहिए, ताकि लोगों में जागरूकता आ सके और इसमें सक्रिय सहयोग करें।
वार्ड स्तर पर सुबह प्रभातफेरियों के साथ जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाएं। सामाजिक संगठनों को एक-एक क्षेत्र की जिम्मेदारी दी जाए और इसको एक प्रतिस्पर्धा के फॉर्मेट में प्लान बनाया जाए। सफाई व्यवस्था बेहतर करने के लिए शहर के गणमान्य नागरिकों समेत प्रबुद्ध वर्ग के लोगों को वार्डवार मैदानमें उतारा जाए।