उसे शक है कि रवि अहिरवार निवासी गौरैया उसकी भतीजी को बहला-फुसलाकर भगा ले गया है। पुलिस ने मामला दर्ज कर विवेचना के दौरान पीडि़ता को दस्तयाब किया। पीडि़ता ने पूछताछ में पुलिस को बताया कि रवि उसे भगाकर ले गया था और उसके साथ दुराचार किया। पुलिस ने आरोपी रवि अहिरवार को गिरफ्तार कर मामला कोर्ट में पेश किया।
डीपीओ एसके चतुर्वेदी ने अभियोजन की ओर से पैरवी करते हुए सबूत एवं गवाह कोर्ट में पेश किए। विशेष न्यायाधीश नौरिन निगम की कोर्ट ने इस मामले में फैसला सुनाया है कि दुराचार के मामलों में सजा देने में नरमी बरतना लोकहित के खिलाफ है। महिलाओं के प्रति होने वाले अपराध लगातार बढ़ रहे हैं। जो समाज की गरिमा को क्षति पहुंचाते हैं। अदालतों को न केवल आरोपी के अधिकारों को ध्यान में रखना चाहिए बल्कि पीडि़त और समाज के हितों को ध्यान में रखते हुए उचित सजा देना चाहिए।
कोर्ट ने आरोपी रवि अहिरवार को दोषी करार देते हुए लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम की धारा 5/6 में 10 साल की कठोर कैद के साथ 5 हजार जुर्माना, आईपीसी की धारा 363 में 3 साल की कठोर कैद के साथ 1 हजार जुर्माना, धारा 366 में 7 साल की कठोर कैद के साथ 2 हजार के जुर्माने की सजा सुनाई।