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पन्ना

दीपों की रोशनी से जगमगाई पवित्र नगरी, आकर्षक रंगोली व आतिशबाजी में दिखे उत्साह के रंग

प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विवि के आश्रम में बताया गया पर्व का अध्यात्मिक महत्व

पन्नाOct 29, 2019 / 12:45 am

Sonelal kushwaha

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पन्ना. पवित्र नगरी पन्ना रविवार को दीपों की रोशनी से जगमग रही। इस दौरान जगह-जगह बनाई गईं आकर्षक रंगोली व आतिशबाजी में उत्साह के रंग देखने को मिले। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विवि के स्थानीय आश्रम में दीपावली पर्व उत्साह के साथ मनाया गया लक्ष्मी पूजन के साथ-साथ पर्व के अध्यात्मिक रहस्य पर भी प्रकाश डाला। सीता बहन ने बताया, मिट्टी के दीप तो जले, पर आत्मा के दीप बुझते गए। दीवाली आयी और चली गई, मानवता का दिवाला निकलता रहा।
दीवाली पर चार मुख्य कार्य किये जाते हैं। उनमें नये खातों का प्रारंभ, घरों की सम्पूर्ण सफाई, तीसरा, दीप प्रज्जवलन और लक्ष्मी पूजन। जब आप दीप जलाएं तो स्वयं का आत्म-दीप जलाने पर भी विचार करें। लक्ष्मी वहीं ठहरती है जहां मनुष्यों के पास सत्य धर्म व श्रेष्ठ चरित्र का बल हो। नगर मे दीपावली के दूसरे दिन ग्वालों ने जमकर दिवारी खेली। ढोलक की थाप और मंजीरे की ध्वनि पर ग्वालों ने टीम पूरे क्षेत्र में थिरकती हुईनजर आई। वहीं दूसरी ओर दिवारी पर पंड़ों ने भी खूब भाव खेला।
बच्चों को बांटी मिठाई
तहसीलदार दीपा चतुर्वेदी ने आदिवासी बाहुल्य खजुरी कोड़ार में बच्चों के साथ दिवाली मनाई। इस दौरान उन्होंने बच्चों को मीठा खिलाकर शुभकामनाएं दी। पटाखे-फुलझड़ी सहित अन्य सामग्री वितरित की। समाजसेवी राम बिहारी गोस्वामी, बिलखुरा पटवारी सत्य कांत शुक्ला ,अखंड प्रताप सिंह सहित मकरी कोठार ग्राम के बड़ी संख्या में नागरिक गण मौजूद रहे।
पतने नदी के तट पर किया दीपदान
पवई. पतने नदी के कलेही घाट में दीपदान हुआ। इस दौरान लोगों नेे कलेही मां की पूजा कर दीपदान किया। शाम को घरों में पूजा कर पटाखे फोड़ और मिठाईयां बांटी। परीवा के दिन दुकानें बंद रहने से नगर के लोगों को भी चाय नास्ते के लिये कफी परेशान होना पड़ा।
बिहारी बिहारिणी मंदिर में लगाए 56 भोग
शाहनगर. दिवाल के दूसरे दिन बिहारी बिहारीणी जू मंदिर में अन्नकूट मनाया गया। भजन-कीर्तन व बधाई गीत के बीच श्रद्धालुओं ने भगवान कृष्ण और राधा रानी को 56 भोग का प्रसाद चढ़ाया। पुजारी तुलसीदास ने नगर की सुख समृद्धि के लिए कामना की। हिंदू मान्यता के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण एक दिन में आठ बार भोजन करते थे। इंद्र के प्रकोप से बृज को बचाने उन्होंने गोवर्धन पर्वत उठाया तो सात दिन तक उन्हें अन्न-जल नहीं मिला। आठ प्रहर भोजन करने वाले कन्हैया सात दिन तक भूखा रहना भक्तों के लिए कष्टप्रद बात थी। श्रद्धा भक्ति दिखाते हुए व्रजवासियों ने सात दिन और आठ प्रहर का हिसाब करते हुए 56 प्रकार का भोग लगाकर अपने प्रेम व भक्तिभाव को दर्शाया। तभी से कृष्ण भगवान को 56 भोग अर्पित करने की प्रथा बनी है।

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