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माचिस नहीं देने पर कर दी घिनौनी हरकत, फिर जानिए आगे क्या हुआ

माचिस नहीं देने पर कर दी घिनौनी हरकत, फिर जानिए आगे क्या हुआ

पन्नाJul 23, 2019 / 11:19 pm

Bajrangi rathore

Do not give up on the match, the bad move, then know what happened...

Do not give up on the match, the bad move, then know what happened…

पन्ना। मप्र के पन्ना जिले के देवेन्द्रनगर थाना क्षेत्र अंतर्गत इटमा गांव में अप्रेल 2017 में एक 11 वर्षीय अनुसूचित जनजाति की नाबालिग लडकी के साथ बलात्कार की घटना के आरोपी को विशेष न्यायाधीश पन्ना अमिताभ मिश्रा की अदालत ने 14 साल के सश्रम कारावास और जुर्माने की सजा सुनाई है।
अभियोजन की ओर से मामले की पैरवी करने वाले विशेष लोक अभियोजक जीतेन्द्र सिंह बैस ने बताया,11 अप्रेल 2017 की दरिम्यानी रात लगभग 12 बजे ग्राम इटमा में खेत में बनीं मडईया में अपने माता-पिता के साथ निवासरत 11 वर्षीय अनुसूचित जनजाति की नाबालिग शौच के लिए मड़ईया के बाहर गई हुई थी, जबकि उसके माता-पिता मड़ईया के अंदर ही सो रहे थे।
उसी दौरान आरोपी राजूराम यादव राजूराम यादव पिता संतु यादव (22) निवासी ग्राम रमजुआ भाजीखेरा थाना सिंहपुर जिला सतना मध्यप्रदेश ने नाबालिग को रोककर उससे माचिस मांगी। जिसके मना करने के बाद आरोपित राजूराम उसका मुंह दबाकर खींचते हुए मड़ईया के पास स्थित गड्ढ़े में पटककर नाबालिग के साथ दुष्कर्म किया। जिसके चीखने-चिल्लाने की आवाज सुनकर जब उसके माता-पिता व नाना दौड़े तो आरोपित भाग निकला।
घटना की रिपोर्ट पर देवेन्द्रनगर थाना पुलिस द्वारा आरोपित राजूराम यादव के विरुद्ध अपराध पंजीबद्ध करते हुए उसकी गिरफ्तारी उपरांत विवेचना पूर्ण कर न्यायालय में चालान प्रस्तुत किया गया।

जहां मामले में दर्ज हुये विशेष प्रकरण के विचारण के दौरान अभियोजन की ओर से प्रस्तुत साक्ष्योंं व साक्ष्यिों के कथनों के आधार पर न्यायालय द्वारा आरोपित को दोषसिद्ध ठहराते हुए विशेष न्यायाधीश अमिताभ मिश्रा ने आरोपी राजूराम यादव पिता संतु यादव (22) निवासी ग्राम रमजुआ भाजीखेरा थाना सिंहपुर जिला सतना मध्यप्रदेश को दोषसिद्ध पाते हुए आईपीसी की धारा 376 (2) वैकल्पिक धारा 3(क), सहपठित धारा 4 लैगिंग अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 के अंतर्गत 14 वर्ष के सश्रम कारावास व एक हजार रुपए के अर्थदंड तथा अनुसूचित जाति-जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम की धारा 3(2)(5) के अंतर्गत भी 14 वर्ष के सश्रम कारावास व एक हजार रूपये के अर्थदण्ड से दंडित किया गया है।

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