पहले भी मूवमेंट
पन्ना टाइगर रिजर्व के बाघों का ऐसा मूवमेंट पहले भी देखने को मिला है। पी-212 नामक बाघ पन्ना के जंगलों को छोड़कर सतना-रीवा के जंगल होते हुए सीधी के संजय गांधी टाइगर रिजर्व पहुंच गया था। पन्ना की एक बाघिन ने तीन साल पहले सतना के सरभंगा के जंगल में स्थाई टेरिटरी बना चुकी है। बाघिन शुरुआती दौर में रानीपुर अभ्यारण तक पहुंची थी, बाद में लौटते हुए सरभंगा में स्थाई रूप से डेरा डाल दिया। अब पांच बाघ रानीपुर अभ्यारण्य पहुंच चुके हैं।
पन्ना टाइगर रिजर्व के बाघों का ऐसा मूवमेंट पहले भी देखने को मिला है। पी-212 नामक बाघ पन्ना के जंगलों को छोड़कर सतना-रीवा के जंगल होते हुए सीधी के संजय गांधी टाइगर रिजर्व पहुंच गया था। पन्ना की एक बाघिन ने तीन साल पहले सतना के सरभंगा के जंगल में स्थाई टेरिटरी बना चुकी है। बाघिन शुरुआती दौर में रानीपुर अभ्यारण तक पहुंची थी, बाद में लौटते हुए सरभंगा में स्थाई रूप से डेरा डाल दिया। अब पांच बाघ रानीपुर अभ्यारण्य पहुंच चुके हैं।
अनुकूल है माहौल
बाघ व तेंदुए जैसे वन्य जीवों के लिए सतना के जंगल व रानीपुर अभ्यारण्य का माहौल अनुकूल हैं। यहां तेंदुआ, बंदर, भालू, लकड़बग्घा बहुतायत में पाए जाते हैं। शाकाहारी वन्य जीव सांभर व चीतल भी बड़ी संख्या में मिलते हैं। इसके चलते माना जा रहा कि पन्ना के बाघ रानीपुर में स्थाई टेरिटरी बना सकते हैं। हालांकि अभी उनका मूवमेंट जारी है। प्रधान मुख्य वन संरक्षक सुनील पांडेय कहते हैं कि पदचिह्न मिले हैं। बाघों का मूवमेंट लगातार देखने को मिल रहा है।
बाघ व तेंदुए जैसे वन्य जीवों के लिए सतना के जंगल व रानीपुर अभ्यारण्य का माहौल अनुकूल हैं। यहां तेंदुआ, बंदर, भालू, लकड़बग्घा बहुतायत में पाए जाते हैं। शाकाहारी वन्य जीव सांभर व चीतल भी बड़ी संख्या में मिलते हैं। इसके चलते माना जा रहा कि पन्ना के बाघ रानीपुर में स्थाई टेरिटरी बना सकते हैं। हालांकि अभी उनका मूवमेंट जारी है। प्रधान मुख्य वन संरक्षक सुनील पांडेय कहते हैं कि पदचिह्न मिले हैं। बाघों का मूवमेंट लगातार देखने को मिल रहा है।