बीते साल की तरह ही इस साल भी ऑपरेशन कराने वाली महिलाओं को अस्पताल की फर्श पर ही लिटाया गया है।गौरतलब है कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में मंगलवार को नसबंदी ऑपरेशन शिविर का आयोजन किया गया। यहां पहले से ही पर्याप्त स्थान नहीं है। इसके बाद भी महज कुछ घंटों में ६२ महिलाओं के नसबंदी ऑपरेशन कर दिए, जबकि महिलाओं को लिटाने तक की व्यवस्था नहीं थी।
इससे ऑपरेशन के बाद अस्पताल के ओपीडी कक्ष और डिलीवरी कक्ष तक में फर्श पर गद्दे बिछाकर महिलाओं को लिटाया गया है। यहां जिला अस्पताल से आए डॉ. आरएस त्रिपाठी ने महिलाओं ने नसबंदी ऑपरेशन किए। ऑपरेशन कराने वाली महिलाओं को बड़ी समस्या यह होती है कि उन्हें ऑपरेशन कराने के बाद घर तक छोडऩे की कोई व्यवस्था नहीं होती है इससे टांके लगे होने के बाद भी उन्हें सामान्य सवारी वाहनों में सफर करना पड़ता है।
इससे उनके टांकों के ढीले पडऩे या टूटने का डर बना रहता है। यहां एकसाथ क्षमता से अधिक महिलाओं के ऑपरेशन होने से काफी अव्यवस्था हो गई। रात को परिजनों के रुकने तक के लिए स्थान नहीं मिल पा रहा था। भीषण ठंड में पर्याप्त स्थान नहीं होने से महिलाओं और उनके साथ आने वाले परिजनों को परेशानियों का सामना करना पड़ा।
ओटी में बार-बार प्रवेश है प्रतिबंधित नसबंदी ऑपरेशन स्टरलाइज ओटी में स्वच्छता का सबसे ज्यादा ध्यान रखा जाता है। इसलिए वहां सिर्फ वहीं स्वच्छ कपड़े उपयोग करने चाहिए जो ओटी में उपयेाग के लिए अलग से रखे जाते हैं। किसी भी बाहरी व्यक्ति को ओटी में प्रवेश की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।
ऐसे लोगों का बार-बार प्रवेश तो पूरी तरह से प्रतिबंधित हेाता है। महिलाओं के अधिक संख्या में ऑपरेशन के लिए पहुंच जाने के कारण सुविधा को ध्यान में रखते हुए ऑपरेशन किए जाने की बात कही गई। आशा कार्यकर्ताओं ने भी बताया कि बार-बार महिलाओं को लाने में उन्हें काफी परेशानी होती है। इसी कारण उन्होंने अस्पताल प्रशासन से सभी महिलाओं के ऑपरेशन करने की बात कही थी।
यह है सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन बिलासपुर नसबंदी कांड के बाद सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित अनीता झा कमेटी की सिफारिश के आधार पर १५ बिंदु प्रोटोकॉल के लिए तय किए गए थे। इसी के अनुसार नसबंदी ऑपरोशन शिविरों ंके आयोजन को लेकर गाइडलाइन जारी की गई थी। इसके अनुसार एक मेडिकल टीम एक दिन में 30 से अधिक नसबंदी ऑपरेशन नहीं कर सकती है। एक औजार से अधिकतम 10 नसबंदी ऑपरेशन ही किए जा सकते हैं।
गाइडलाइन के अनुसार ब्लॉक स्तर पर आयोजित होने वाले शिविरों के लिए जिला स्वास्थ्य अधिकारी जो परिवार कल्याण शिविरों का नोडल अधिकारी भी होता है को मॉनीटरिंग करनी चाहिए। ऑपरेशन थियेटर की एंटी सेप्टिक और एंटी बैक्टीरियल क्लीनिंग होनी चाहिए। पूरा ओटी रूम स्टारलाइज होना चाहिए। जिसमें चिकित्सक दल के अवाला किसी ाके भी प्रवेश नहीं दिया जाना चाहिए।
ऑपरेशन के बाद 24 घंटे तक महिलाओं को अस्पताल में रखना चाहिए। जिस महिला का ऑपरेशन हुआ है उसका स्वास्थ्य कार्यकर्ता द्वारा 10 दिन में तीन बार फॉलोअप लेना चाहिए। जबकि यहां जहां डॉक्टरों की टीम द्वारा निर्धारित से अधिक ऑपरेशन किए गए वहीं दूसरी ओर ऑपरेशन के कुछ ही घंटों बाद महिलाओं को छुट् टी देदी जाती है।