प्रशिक्षु वन अधिकारियों का 92 सदस्यीय दल 9 दिसंबर को यहां पहुंचा है। उनके यहां पहुचने पर पन्ना टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर केएस भदौरिया द्वारा प्रेजेंटेशन के माध्यम से अधिकारियों को पन्ना टाइगर रिजर्व के संबंधमें विस्तार पूर्वक जानकारी दी गई है।। यह दल छह दिनी प्रवास में है। यहां यह अधिकारी अधिकारी पन्ना टाइगर रिजर्व के अतीत, वर्तमान व भविष्य की संभावनाओं का गहराई से अध्ययन करेंगे। इन्दिरा गांधी नेशनल फारेस्ट एकेडमी के इन प्रशिक्षु वन अधिकारियों को वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूटी ऑफ इंडिया देहरादून (डब्ल्यूआईआई) के वैज्ञानिकों तथा पन्ना टाइगर रिजर्व के अधिकारियों द्वारा विभिन्न विषयों पर प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है।
दुनियां को आश्चर्य में डालने वाली 10 साल की कहानी
प्रवास में आये वन अधिकारी पन्ना टाइगर रिजर्व में प्रकृति, पर्यावरण व वन्य प्राणियों के बारे में बड़ी लगन व मेहनत से व्यवहारिक ज्ञान भी प्राप्त कर रहे हैं। वर्ष 2009 में पन्ना टाइगर रिजर्व बाघ विहीन हो गया था। ऐसी स्थिति में यहां पर बाघों को फिर से आबाद करने के लिये बाघ पुनस्र्थापना योजना शुरू की गई। जिसे यहां पर अभूतपूर्व कामयाबी मिली। परिणामस्वरूप बीते 10 सालों में पन्ना टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या शून्य से 54 से भी अधिक पहुच गई है। यह चमत्कारिक सफलता देश ही नहीं पूरी दुनिया को आकृष्ट कर रही है। दुनियाभर के वन अधिकारी व वन्यजीव प्रेमी पन्ना की सफलता को जानने और समझने के लिये यहां आ रहे हैं। भारतीय वन सेवा के प्रशिक्षु अधिकारी भी वन व वन्यजीवों के संरक्षण और प्रबंधन के संबंध में व्यवहारिक ज्ञान अॢजत करने के लिये अध्ययन प्रवास पर हैं।
पन्ना टाइगर रिजर्व के लिए यह महत्वपूर्ण उपलब्धियों में से एक है। डब्ल्यूआईआई ने वन्य अधिकारियों के प्रशिक्षण के लिए पन्ना को चुना है। अधिकारियों को मड़ला और हिनौता में रुकवाया गया है। मैने प्रजेंटेशन के माध्यम से उन्हें जानकारियां भी दी है।
केएस भदौरिया, फील्ड डायरेक्टर पन्ना टाइगर रिजर्व