सिरस्वाहा में पहाड़ी के नीचे नाले में बड़ी संख्या में लोग हीरे की खुदाई करते हैं। यहां उन्हें महज 4-5 फीट में ही चाल मिल जाती है। ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती और यहां हीरे भी अच्छे मिलते हैं। मैदानी स्तर पर काम कर रहे कर्मचारियों को पूरी जानकारी है। कम गहराई में हीर मिलने के कारण ही यहां हीरा खदानों के बड़े और गहरे गड्ढे नहीं हैं जैसा कि बृजपुर और पहाड़ीखेड़ा क्षेत्र में हैं। इसके अलावा विश्रामगंज रेंज के मंगला, खिरवा, रहुनिया, पाली और गड़हा में भी दर्जनों की संख्या में अवैध रूप से हीरा खदानें चलाई जा रही हैं। यहां मजदूर दिनभर काम नहीं करते हैं। सुबह 5 बजे से काम शुरू होता है ऑफिसों के खुलने के समय से पहले ही काम बंद कर देते हैं यदि कोई अधिकारी कार्रवाई भी करे तो उन्हें यहां सिर्फ गड्ढ़े और मिट्टी ही मिलें। वन विभाग द्वारा कई बार अवैध रूप से संचालित हीरा खदानें और उन्हें चलाने वाले लोग व पंप आदि भी पकड़े जा चुके हैं।
बृहस्पति कुंड में नीचे वाहनों से नहीं पहुंचा जा सकता है। यहां नीचे तक पहुंचने के लिए भी करीब आधा घंटे का समय लग जाता है। दुर्गम क्षेत्र होने का फायदा उठाकर हीरा कारोबारी भी बड़ी संख्या में यहां अवैध हीरा खदानें चला रहे हैं। कुंड और उनके आसपास के क्षेत्रों में सैकड़ों की संख्या में हीरा खदानें अवैध रूप से चल रही हैं। हालात यह है कि एक कुंड से दूसरे कुंड तक पहुंचने वाले मार्ग को भी लोगों ने हीरे की लालच में खोद दिया है। यह पयर्टन स्थल होने के बाद भी यहां सुरक्षा के कोई उपाए नहीं हैं। इसी का फायदा उठाकर खदानें चलाने वाले लोग यहां सुबह 6 से 10 बजे तक ही काम करते हैं। इस दौरान यदि कोई कार्रवाई करने पहुंचा तो उसे पैदल नीचे तक पहुंचने में आधा घंटे से अधिक समय लगता है। तब तक ऊपर बैठे उनके मुखबिर उन्हें जानकारी दे देते हैं, जिससे पकड़े जाने से पहले ही वे जंगलों में छिप जाते हैं।
हीरा विभाग खदानों के संचालन के लिए अधिकतम एक साल के लिए पट्टा देता है। यह पट्टा साल के अंदर कभी भी बनवाया जाए, साल के अंतिम दिन ३१ दिसंबर के बाद अवैध हो जाता है। जो खदानें पूर्व से चल रही हैं उनमें यदि काम बांकी है तो उन्हें अपना खदान का पट्टा रिन्यूवल कराने हीरा कार्यालय में आवेदन देना होता है। इस साल भी हीरा कार्यालय में ओवदन तो पहुंचने लगे हैं लेकिन कार्यालय के पास सिपाही ही नहीं हैं तो मौके पर जाकर आवेदक की जानकारी का भौतिक सत्यापन कर सकें। इससे बीते साल संचालित सभी खदानें अवैध हो चुकी हैं, जिनके अभी तक रिन्यूवल पट्टे जारी नहीं हुए हैं। मैदानी अमले की वजह से हीरा विभाग खदानों के आवेदन आने के बाद पट्टे जारी नहीं कर पा रहा है। यही कारण है कि साल का दूसरा महीना शुरू होने के बाद भी खदानों के पट्टे रिन्यू नहीं हो पाए।
नरेश यादव, डीएफओ उत्तर वन मंडल पन्ना