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पन्ना

डायमंड नगरी में चल रही थी फर्नीचर की अवैध फैक्ट्री, यूं हुआ खुलसा

वन विभाग के अफसरों ने दबिश देकर करीब डेढ़ घन मीटर सागौन की प्रोसेस्ड लकड़ी व मशीनें जब्त की है। जब्त की सामग्री की अनुमानित कीमत तीन लाख के करीब बताई जा रही है।

पन्नाJan 15, 2022 / 02:58 am

Sonelal kushwaha

 Illegal furniture factory was running in Diamond city

Illegal furniture factory was running in Diamond city

पन्ना. मप्र की डायमंड नगरी पन्ना में फर्नीचर की अवैध फैक्ट्री चल रही थी। शुक्रवार सुबह वन विभाग के अफसरों ने दबिश देकर करीब डेढ़ घन मीटर सागौन की प्रोसेस्ड लकड़ी व मशीनें जब्त की है। जब्त की सामग्री की अनुमानित कीमत तीन लाख के करीब बताई जा रही है। इस मल्टी परपज मशीन को ब्लेड लगाकर आरा मशीन के रूप में भी उपयोग किया जाता था। कारखाना संचालक के खिलाफ प्रकरण पंजीबद्ध किया गया है।
डीएफओ गौरव शर्मा ने बताया कि बच्चू श्रीवास्तव धाम मोहल्ले में फर्नीचर में उपयोग होने वाली लकड़ी के प्रोसेसिंग का कारखाना चला रहा था। विभाग ने कुछ दिन पूर्व भी यहां कार्रवाई की थी। लेकिन पूर्व में जानकारी मिल जाने के कारण मशीन व लकड़ी गायब कर दी गई थी। हाल ही में पता चला कि उनके मशीन फिर चालू कर दी है। जिस पर कार्रवाई की गई।
आरा मशीन के रूप में उपयोग होती थी मशीन
विश्रामगंज व पन्ना रेंज की संयुक्त टीम ने शुक्रवार सुबह कारखाने में दबिश दी। जहां डेढ़ घर मीटर सागौन की प्रोसेस की हुई लकड़ी व एक बड़ी रुंदा मशीन मिली है। ब्लेड लगाकर इसे इलेक्ट्रिक आरा मशीन के रूप में भी उपयोग किया जाता था। कार्रवाई के दौरान बड़ी संख्या में वन अमला व पुलिस बल मौजूद रहा।
अवैध कारोबार का हॉट-स्पॉट बना क्षेत्र
नगर का धाम मोहल्ला फर्नीचर निर्माण व लकड़ी की प्रोसेसिंग के लिए हॉट स्पॉट बन चुका है। वन अमले ने पिछले एक साल में धाम मोहल्ला व उससे लगे आगरा मोहल्ले में एक दर्जन कार्रवाई कर चुका है। जहां न सिर्फ लाखों रुपए की लकड़ी, बल्कि महंगी मशीनरी भी जब्त की गई है। खासबात यह कि लागतार कार्रवाई के बाद भी अवैध कारोबार थमने का नाम नहीं ले रहा।
बायपास से सीधे शहर में एंट्री
शहर से लगा विश्रामगंज रेंज सागौन की अवैध कटाई के लिए चर्चित है। कारोबारी शहर के बाहर ही बायपास से किलकिला पुल होते हुए धाम मोहल्ला पहुंचते हैं। स्थानीय लोगोंं की मानें तो किलकिला पुल से दिनभर बाइकों के जरिए सागौन की सिल्लियां ढोई जाती हैं। कई बार वन अमले को भी सूचित किया गया, लेकिन जानकर भी अनजान बन जाते हैं।
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