वनकर्मियों की भूमिका पर भी सवाल
गौरतलब है कि पहाड़ीखेरा में बृहस्पिति कुंड से लगे भिलसांय हार वन विभाग का क्षेत्र है। इसके बाद भी यहां बीते कई महीनों से हीरे की खदानों का अवैध रूप से संचालन किया जा रहा था। खदानों को खोदने के लिए भारी भरकम जेसीबी और अर्थमूविंग मशीनों का उपयोग किया गया था। जिससे इस कार्य में वन विभाग के स्थानीय अधिकारियों की भूमिका भी संदिग्ध बनी है। मामले की कई बार वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा शिकायत की गई थी। इसी को लेकर बुधवार को सीसीएफ के नेतृत्व वाली वनविभाग की टीम द्वारा दोपहर में छापामार कार्रवाई की गई। कार्रवाई के दौरान आधा दर्जन से भी अधिक खदानें संचालित होना मिलीं। एक डीजल पंप रखा पाया गया।
गौरतलब है कि पहाड़ीखेरा में बृहस्पिति कुंड से लगे भिलसांय हार वन विभाग का क्षेत्र है। इसके बाद भी यहां बीते कई महीनों से हीरे की खदानों का अवैध रूप से संचालन किया जा रहा था। खदानों को खोदने के लिए भारी भरकम जेसीबी और अर्थमूविंग मशीनों का उपयोग किया गया था। जिससे इस कार्य में वन विभाग के स्थानीय अधिकारियों की भूमिका भी संदिग्ध बनी है। मामले की कई बार वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा शिकायत की गई थी। इसी को लेकर बुधवार को सीसीएफ के नेतृत्व वाली वनविभाग की टीम द्वारा दोपहर में छापामार कार्रवाई की गई। कार्रवाई के दौरान आधा दर्जन से भी अधिक खदानें संचालित होना मिलीं। एक डीजल पंप रखा पाया गया।
खेतों में डंप कर लिया हीरे की चाल
यहां अवैध रूप से हीरे की खदानों का संचालन करने वाले लोगों द्वारा खदानों से निकलने वाली हीरे की चाल को खदान क्षेत्रों से निकालकर सुरक्षित तरीके से खेतों में डंप कर लिया गया है। जिससे बारिश होने की स्थिति में इस चाल की धुलाई कराकर हीरे निकाले जा सकें। इससे खदान क्षेत्रों में हीरे की चाल नहीं पकड़ी गई है। मामले में वन विभाग के स्थानीय अधिकारियों की भूमिका की भी जांच कराए जाने की जरूरत है। अवैध खदानों को लेकर वनकर्मियों की मिलीभगत भी सामने आई है।