एकसाथ इतने अधिक शावकों के जन्म से जहां एक ओर सावन में पार्क खुशी से झूम रहा है वहीं दूसरी ओर बाघों और शावकों की सुरक्षा के भी पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। पन्ना टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर केएस भदौरिया ने बताया हाल केमहीनों में टाइगर रिजर्व की बाघिनों ने १० शावकों को जन्म दिया है।
ये कई शावक हैं और अलग-अलग महीनों के हैं। बताया गया कि एक बाघिन द्वारा पन्ना टाइगर रिजर्व के कोर जोन से लगे बफर जोन में चार शावकों को जन्मा है। टाइगर रिजर्व के बफर क्षेत्र में तैनात मैदानी अमले द्वारा बाघिन को चार शावकों के साथ देखा है। टाइगर रिजर्व प्रबंधन के अनुसार पन्ना टाइगर रिजर्व में 42 बाघ थे, जिनमें वयस्क बाघों की संख्या 31 है।
अर्ध वयस्क ओर शावक मिलाकर कुल बाघों की संख्या 52 हो गई है। जो संख्या बढ़ी है वह शावकों की है। हालांकि सुरक्षा कारणों के चलते पार्क प्रबंधन द्वारा यह जानकारी नहीं दी गई कि किन बाघिनों ने और किन क्षेत्रों में शावकों को जन्मा है। इससे पूर्व पन्ना टाइगर रिजर्व के अमानगंज बफर में एक बिना कॉलर बाली बाघिन को पार्क के अमले ने मई में तीन शावकों के साथ देखा था।
बच्चों को देखकर अनुमान लगाया गया है कि बाघिन ने करीब एक माह पूर्व शावकों को जन्म दिया होगा। यह वही बाघिन है जिसे अक्सर पन्ना-अमानगंज मार्ग में रोड के आसपास देखा जाता रहा है। इसके अलावा एक अन्य बाघिन टी-६ ने दो शावकों को जन्म दिया था। उसके भी करीब एक माह पूर्व शावकों को जन्म दिए जाने की बात कही गई है। बाघिनों और उनके शावकों की सुरक्षा का पूरा ध्यान रखा जा रहा है। उक्त सूचना के बाद से पार्कमें खुशी का माहौल है।
बफर में भी कोर जैसी सुरक्षा पन्ना टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर केएस भदौरिया ने बताया, पन्ना टाइगर रिजर्व के कोर जोन की तरह ही बफर जोन में भी सुरक्षा दी जा रही है। इसी का परिणाम है कि बफर जोन क्षेत्र में भी बाघों सहित अन्य वन्य संख्या में वृद्धि हो रही है। बफर क्षेत्र में अस्थायी कैंप बनाकर वहां 24 घंटे सुरक्षा व्यवस्था की गई है।
बारिश में लगातार पेट्रोलिंग की जा रही है। इसी को ध्यान में रखते हुए पार्क प्रबंधन द्वारा अकोला बफर से भी माह दिसंबर 2018 में टूरिज्म की शुरुआत की गईहै। इस साल पन्ना टाइगर रिजर्वमें भी 35 हजार से अधिक देसी और विदेशी पर्यटक पहुंचे हैं।
महज 10 सालों में मिली ऐतिहासिक सफलता इससे पूर्व पन्ना टाइगर रिजर्व में वर्ष 2009 में दो चरणों वाली बाघ पुनस्र्थापना योजना शुरू की गई थी। इसके तहत सात संस्थापक बाघों को चरणबद्ध तरीके से बांधवगढ़, पेच और कान्हा टाइगर रिजर्व से लाकर यहां बसाया गया था। जब यह योजना शुरू की गई थी तब वाइल्डलाइफ से जुड़े लोगों द्वारा यह कहा जा रहा था कि यहां बाघों का संसार आबाद होने में 10 से 15 साल लग सकते हैं, लेकिन तत्कालीन फील्ड डायरेक्टर के तकनीकी कौशल और कर्मठ कार्यशैली के परिणाम स्वरूप योजना के शुरुआती सालों से ही बेहद शानदार परिणाम आने शुरू हो गए थे।
यही कारण है कि महज 10 साल में यहां बाघों की संख्या इतिहास के सबसे उच्चतम स्तर पर है। बाघ पुनस्थापना योजना के पूर्व 34 सर्वाधित बाघों की संख्या था, जबकि आज यहां बाघों का आंकड़ा 50 की संख्या को भी पार कर गया है।
हाल के महीनों में कई बाघिनों ने शावक जन्मे हैं। यहां पहले बाघों की संख्या 42 थी। अब 52 हो गई है, जो संख्या बढ़ी है वह सभी शावकों की है। एक बाघिन के कोर जोन से लगे बफर जोन में 4 शावकों के साथ देखा गया है। सभी की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। हम बफर जोन में भी कोर जोन जैसी सुरक्षा मुहैया करा रहे हैं।
केएस भदौरिया, फील्ड डायरेक्टर पन्ना टाइगर रिजर्व