ग्राम उदयपुरा के ग्रामीणों के अनुसार लोगों ने पूरे रात तेंदुए के गुर्राने की आवाजें सुनी थी। सुबह लोगों ने जब गांव के लोगों ने बछड़े और एक मवेशी के शव को शिकार करने के बाद अधा खाया हुआ पाया तो पूरा मामला उनके समझ में आ गया। लोगों ने तुरंत मामले की जानकारी वन विभाग को दी। वन विभाग के लोगों ने मौके से मिले फुटप्रिंट और मवेशियों को घसीटे जाने के आधार पर तेंदुए द्वारा शिकार किए जाने की बात कही गई है। रेंजर मडिय़ादो ने बताया, अभी तक मवेशियों के वारिस सामने नहीं आए हैं। इससे शिकार हुए मवेशी लावारिस हो सकते हैं। पंचनामा तैयार कर लिया गया है। वरिष्ट अधिकारियों को सूचना दी जाएगी।
ग्रामीणों के अनुसार रात को मवेशियों को बाड़े में बंद कर दिया गया था। जिससे वे फसलों को नुकसान नहीं पहुंचा सकें। उनमें गांव में घूमने वाले आवारा मवेशी भी थे। ग्रामीणों के अनुसार रात में मवेशी समूह के रूप में बाड़े में मौजूद थे। तेंदुआ बड़े से घसीटकर दोनों मवेशियों को गांव तक लाया है। मवेशियों को घसीटने के निशान स्पष्टरूप से दिख रहे थे। शिकार करने के बाद मछड़े के मांस को तो उसने पूरी तरह से खा लिया था। सुबह उसके मुंह का हिस्सा और हड्डियों का ढांचा ही मिला। जबकि दूसरे मवेशी का शिकार करने के बाद वह कुछ हिस्सा ही खा पाया था।
मडिय़ादो रेंज के जंगल जब से टाइगर रिजर्व के बफर का हिस्सा बने हैं तब से क्षेत्र में हिंसक जीवों की लगातार मौजूदगी के प्रमाण मिल रहे हैं। ग्रामीणों ने बताया हिंसक वन्यप्राणी आए दिन घोघरा, उदयपुरा, चोरईया, लमती नाला और पाटन सहित आसपास के गांवों में पहुंच रहे हैं और मवेशियों को अपना शिकार बना रहे हैं। वे बकरियों और छोटे मवेशियों का शिकार ज्यादा कर रहे हैं। इससे ग्रामीणों ने वन्य जीवों को लेकर भय का वातावरण बन गया है।