वर्ष 2011 को 5 समाजसेवियों द्वारा मंदिर से संबंधित सभी दस्तावेज और लिखित शिकायत तत्कालीन कलेक्टर पन्ना से की गई। जिसकी जांच चलती रही और तत्कालीन अनुविभागीय दंडाधिकारी पन्ना के द्वारा यह निर्णय लिया गया, कि कूट रचित और षड्यंत्र पूर्वक दस्तावेज तैयार कर इस मंदिर को हड़प लिया गया। जबकि यह मंदिर और मंदिर से जुड़ी पूरी संपत्ति भगवान श्री अवध बिहारी जू की संपत्ति है। निर्णय के अनुसार कलेक्टर पन्ना को मंदिर का प्रबंधक एवं मंदिर एवं मंदिर से जुड़ी संपत्ति 2011-12 में मध्यप्रदेश शासन की घोषित की गई। परंतु इतने पर भी षड्यंत्र कारियों का मन नहीं माना और इस प्रकरण को राजस्व न्यायालय ग्वालियर हाई कोर्ट जबलपुर और पन्ना की विभिन्न अदालतों में लगातार यह प्रकरण चलता रहा। जिसकी अंतिम स्वामित्व की अपील पन्ना के अपर जिला एवं सत्र न्यायालय में षड्यंत्र कारियो द्वारा पेश की गई। अपर जिला न्यायाधीश ने अपील को खारिज करते हुए माननीय न्यायाधीश ने फैसला यथावत रखा तथा मंदिर और मंदिर से जुड़ी पूरी संपत्ति को भगवान श्री अवध बिहारी जी की मान ली गई।
न्यायालय में लम्बी लड़ाई के बाद आखिरकार अवधविहारी जू मंदिर को न्याय मिल ही गया। जिला अपर न्यायालय ने फैसला सुनाते हुए इस मंदिर को शासन संधारित मंदिर कर दिया है. अब पन्ना शहरवासियों में काफी खुसी का माहौल है और लोग मान रहे हैं कि जैसे अयोध्या में भगवान राम जी को लंबे समय के बाद न्याय मिल था ठीक उसी प्रकार पन्ना के भगवान अवधविहारी जू को न्याय मिला है। इसके लिये शहर के कुछ समाजसेवियों ने मंदिर को बचाने के लंबी लड़ाई लड़ी। अब शहर में इस बात की चर्चा रही कि देर से सही मगर जीत सत्य की ही होती है, चाहे विलंब कितना ही हो जाए ।