यह मान्यता इंसानों के साथ साथ भगवान भी मानते हैं। बताया जाता है कि देश में एक मात्र पन्ना में ही हर साल भगवान जुगल किशोर सफेद वस्त्र धारण कर अपने पूर्वजों को तर्पण करते हैं। पन्ना जिले में पितर पक्षो का बड़ा महत्व माना जाता है क्योंकि यहाँ इंसानों के साथ साथ भगवान जुगलकिशोर सरकार भी अपने पूर्वजों को पितर पक्ष में सफेद वस्त्र धारण कर अदृश्य रूप में तर्पण करते हैं।
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मंदिर के पुजारी अवध बिहारी ने बताया कि भगवान जुगल किशोर पितरों को तर्पण कर अर्घ्य देंगे। यह प्रक्रिया मंदिर के गर्भगृह में पंडितों द्वारा पूरी कराई जाती है। जिसे देखना श्रद्धालुओं के लिये निषेध है। श्राद्ध पक्ष के दिनों भगवान श्री जुगलकिशोर सफेद पोशाक में रहते हैं। उनके पास पूजन सामग्री रखी जाती है। भगवान जुगलकिशोर सरकार भी अपने पूर्वजों के लिए सफेद वस्त्र धारण कर इन दिनों तर्पण करते हैं। यह परंपरा भी सालों से चली आ रही है।
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हिन्दू पंचाग के अनुसार भाद्र मास मे शुक्ल पक्ष की पुर्णिमा से प्रारम्भ होता है और अमावस्या मतलब 15 दिन तक 16 तिथियो में पूर्ण होता है। पृथ्वी मे 14 लोक है और 14 लोक मे एक लोक पित्र लोक भी है। इन 16 दिनों में पित्र लोक पृथ्वी के सबसे अधिक निकट आ जाता है। जिससे इस लोक पर रहने वाले पितर चलायमान हो जाते है और धरती पर आते हैं। जिसे पित्र पक्ष कहा जाता है। ऐसे में पित्रों को उनके बंशज आदि पानी भोजन की व्यवस्था करते है। जिससे उनको मोक्ष की प्राप्ति होती है। पूरे 15 दिन तक चलने वाले पक्ष मे बंशज अपने अपने पूर्वजों को याद करते है। पन्ना के इस झीलनुमा तालाब धरम सागर मे पूरे पन्ना नगर के लोग शामिल होते है और विधि विधान से अपने पूर्वजों को तर्पण करते हैं।
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मंदिरों की नगरी पन्ना में इंसानों के साथ साथ हिन्दू धर्म मे अपने पितरो यानी पूर्वजों को 16 तक जलाशयों में पानी देकर वेदमंत्रों से आह्वान किया जाता है। इन 16 दिनों में लोग दान पुन्न ब्राह्मण भोजन कन्या भोजन आदि पुन्न के कार्य करते हैं ताकि उनके पूर्वजों को याद किया जा सके। इसी के साथ गाय ,कौवा, कुत्तों सहित कीट पतंगों को भी अर्क रूपी भोजन कराया जाता है। लोग इन दिनों में कच्चा भोजन जैसे कड़ी ,बरा ,भात,अठवाई का उपयोग करते हैं।