scriptपन्ना में 300 साल पुरानी तकनीक से हीरे की कटिंग और पोलिशिंग, इन कारणों से पिछड़ रहा MP | National technology day latest news in panna | Patrika News
पन्ना

पन्ना में 300 साल पुरानी तकनीक से हीरे की कटिंग और पोलिशिंग, इन कारणों से पिछड़ रहा MP

तकनीक की कमी से पन्ना में पिछड़ रहा हीरा और पत्थर कारोबार, जिले में एक भी कम्प्यूटराइज्ड हीरा कटिंग-पॉलिशिंग यूनिट नहीं

पन्नाMay 11, 2018 / 10:39 am

suresh mishra

National technology day latest news in panna

National technology day latest news in panna

पन्ना। जीवन में कई महत्वपूर्ण क्षेत्र जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार में पन्ना जिले में तकनीक का बेहद कम उपयेाग हो रहा है। यही कारण है कि जिले की हीरा खदानों से एक अरब से अधिक के हीरे हर साल निकलने के बाद भी यहां उसकी कटिंग और पॉलिशिंग के लिए 300 साल से अधिक पुरानी तकनीक का उपयोग किया जा रहा है। ऐसे में यहां हीरा कारोबार से जुड़े लोगों को इसका लाभ कम ही मिल पाता है। यहां की धरती का सीना चीरकर निकाले जाने वाले बेशकीमती रत्न हीरे से सूरत और मुंबई के कारोबारी मालामाल हो रहे हैं।
मैन्युअल काम

गौरतलब है, पन्ना मेें पिछले 400 साल से हीरे और पत्थर का उत्खनन और कारोबार होता आ रहा है। लेकिन इनकी कटिंग और पॉलिशिंग के क्षेत्र में नई तकनीक के नहीं आने से यहां अब भी करीब 300 साल पुरानी पद्धति से हीरे की कटिंग और पॉलिशिंग होती है। पत्थर खदानों में हजारों मजदूर ही मैन्युअल काम करते हैं। इन दोनों क्षेत्रों में तकनीक का उपयोग कर मजदूरों में सिलिकोसिस जैसी खतरनाक बीमारी को कुछ हद तक कम किया जा सकता है। हालांकि इस ओर न श्रम विभाग ध्यान दे रहा, न खनिज विभाग और न ही खनन कारोबार से जुड़े ठेकेदार।
शिक्षा, स्वास्थ्य, खेती, वानिकी, टूरिज्म
जिले में शिक्षा के क्षेत्र में भी तकनीक की कमी का असर यहां के युवाओं की क्षमताओं पर पड़ रहा है। यहां अभी तक बीएए, बीएससी और बीकॉम जैसी परंपरागत विषयों की शिक्षा दी जा रही है। यहां एक भी इंजीनियरिंग कॉलेज नहीं है। पशु चिकित्सा महाविद्यलय की मांग भी लंबे समय से की जा रही है। पैरामेडिकल से संबंधित विषयों पर भी पढ़ाई नहीं हो पा रही है। यहां तक कि जिले के सबसे बड़े छत्रसाल कॉलेज में कम्प्यूटर लैब नहीं है। चिकित्सा क्षेत्र में भी तकनीक का व्यापक अभाव देखने को मिल रहा है। सोनोग्राफी जैसी मूलभूत सुविधा करीब 10 माह से बंद पड़ी है। अल्ट्रासाउंड की व्यवस्था नहीं है। ज्यादातर मामलों में डॉक्टर आधुनिक मशीनों की तकनीक का सहारा नहीं मिल पाने के कारण समुचित इलाज नहीं कर पाते हैं। हम उनकी योग्यता पर ही अंगुली उठाने लगते हैं।
वाइल्ड लाइफ रिसर्च सेंटर की भी संभावनाएं

पुलिस विभाग में भी तकनीकी सुविधाएं जिला मुख्यालय पर नहीं होने से कारण विसरा बाहर भेजना पड़ता है। विभिन्न लैबों की जांच के लिए सैम्पल देने उन्हें कभी सागर, कभी जबलपुर तो कभी भोपाल की लैबों में जाना पड़ता है। जिले में प्रचुर मात्रा में वन संपदा और वनोपज मौजूद होने के बाद भी जिले में एक भी वानिकी से संबंधित रिसर्च सेंटर य औद्योगिक इकाई नहीं है। यहां वाइल्ड लाइफ रिसर्च सेंटर की भी संभावनाएं हैं। टूरिज्म में भी तकनीक को जोड़कर रोजगार के बेहतर अवसर उपलब्ध कराए जा सकते हैं।
इस तरह होता है काम
पन्ना डायमंड एसोसिएशन के सचिव सतेंद्र जडिय़ा ने बताया, हर हीरे में 57 फलक होते हैं। सभी फलकों के अलग कोण होते हैं। हर कोण का मेजरमेंट मैन्युअल ही करना पड़ता है। इसके अलावा हीरे की कटिंग के दौरान कारीगर की व्यक्तिगत क्षमता के कारण भी अंतर आने की आशंका बनी रहती है। पन्ना में अभी भी पुरानी तकनीक के आधार पर ही हीरे की कटिंग और पॉलिशिंग की जाती है। हीरे की कलर ग्रेडिंग, क्लीयरिटी, कैरेट वेट और कट सभी वर्क मैनुअल ही होते हैं। इससे हीरे की 4 सी क्वॉलिटी अंतरराष्ट्रीय मानकों के आधार पर संभव नहीं हो पाती है। इसी कारण पन्ना का हीरा कारोबार धीरे-धीरे पिछड़ता गया। अब हालात यह हैं कि हीरा कटिंग पॉलिशिंग के ज्यादातर कारखानों में ताला लग गया है। लोग अपने ही घरों में काम कर किसी तरह कारोबार चला रहे हैं।
कम्प्यूटर से इस तरह होता हीरे का मेजरमेंट
आइ मेजरमेंट में तराशे गए हीरे और कम्प्यूटर मेजरमेंट में तराशे गए हीरे में अंतर होता है। कम्प्यूटरीकृत यूनिट मेंं गैलेक्सी मशीन के सॉफ्टवेयर के आधार पर हीरे का ३डी इमेज लेकर हीरे की कटिंग प्लानिंग तैयार करती है। इसमें पहले से ही बताया जाता है कि हीरे में किस एंगल से कट लगाने और कितना कट लगाने पर हीरे में अधिकतम शुद्धता, अधिकतम वजन और गुणवत्ता मिलेगी। इससे हीरे की कटिंग कई गुना आसान हो जाती है। साथ ही हीरों की सर्वोच्च गुणवत्ता प्राप्त की जा सकती है। कम्प्यूटर से तैयार हीरे में प्रत्येक फलक का प्रत्येक कोण स्टैंडर्ड साइज होता है।
तकनीक का उपयोग कर खदानों में काम करने वाले मजदूरों का डिजिटल डाटाबेस तैयार किया जा सकता है। तकनीक का उपयेाग कर मजदूरों को सिलिकोसिस जैसी खतरनाक बीमारियों से बचाया जा सकता है।
यूसुफ बेग, अध्यक्ष पत्थर खदान मजदूर संघ
यहां कम्प्यूटराइज्ड हीरा-कटिंग और पॉलिशिंग यूनिट की स्थापना होने से पन्ना में होने वाला हीरा कारोबार सर्टीफाइड हो जाएगा। इससे यहां बने गहनों को अंतरराष्ट्रीय मार्केट में भी बेचा जा सकेगा। हीरा कारोबार में बूम आएगा।
सतेंद्र जड़िया, सचिव पन्ना डायमंड मर्चेंट एसोसिएशन

Home / Panna / पन्ना में 300 साल पुरानी तकनीक से हीरे की कटिंग और पोलिशिंग, इन कारणों से पिछड़ रहा MP

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो