गौरतलब है कि जिले में करीब आधा दर्जन रेत खदानें धमरपुर और अजयगढ़ जनपद क्षेत्र में वैधानिक रूप से संचालित हैं। इनके अलावा आधा सैकड़ा से भी अधिक रेत खदानों का अवैधानिक रूप से संचालन किया जा रहा। इन रेत खदानों में ठेकेदारों द्वारा भारी भरकम मशीनों से रेत का उत्खनन किया जा रहा है। एक दर्जन से अधिक ऐसी रेत खदानें हैं जिनका पट्टा जारी हो चुका है, लेकिन संबंधितों ने अभी तक खदान का संचालन शुरू नहीं किया है।
ग्राम पंचायतें इतनी सशक्त और मजबूत संस्थाएं नहीं हैं कि रेत खदान जैसी महत्वपूर्ण खदानों का संचालन कर सकें। जिन पंचायतों में सरपंच और सचिव कमजोर होंगे वहां स्थानीय दबंगों के दबाव में आने की आशंका भी बनी है। आर्थिक गड़बड़ी और विवादित स्थितियों के हालात आए दिन बनने की भी आशंका जताई जा रही है। अभी तक खदानों से किसानों को अच्छे खासे रुपए मिलते थे जिससे वे अपने खेतों से ट्रकों को निकलने देते थे। अब यह हो सकता है कि किसान अपने खेतों से ट्रकों को नहीं निकलने दें। जिससे विवाद बढऩे लगे।
खनिज अधिकारी के अनुसार जिले की 13 खदानों को पंचायतों को सौंपा जाना है, जिनमें अजयगढ़ तहसील की मोहाना नंबर एक, स्वीकृत रकबा 12 हेक्टेयर हैं। इसके अलावा इसी तहसील की फरस्वाहा, बीरा नंबर ३ और नामनई की खदान को संबंधित पंचायतों को सौंपा जाएगा। पवई तहसील की पुरैना, सिंघासर, कैथी, पिपरिया, बडख़ेराकला, सुनवानी खुर्द और कोल करहिया की खदानें संबंधित पंचायतों को दी जाएंगी। इसी प्रकार रैपुरा तहसील की चंद्रावल नंबर १ और चंद्रावल नंबर दो खदानों को पंचायतों को सौंपा जाना है।
संतोष सिंह, खनिज अधिकारी पन्ना