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पन्ना

MP के इस जिले में नहीं चालू हो सकीं 13 से अधिक रेत खदानें, इन पंचायतों को देने के थे निर्देश

नई रेत नीति के क्रियान्वयन के लिए कलेक्टर ने की पहल, बैठक में खदानों के विधि सम्मत संचालन की प्रक्रिया के बारे में जानकारी दी जाएगी

पन्नाDec 09, 2017 / 05:33 pm

suresh mishra

New sand policy in panna madhya pradesh

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पन्ना। प्रदेश शासन द्वारा लागू नई रेत नीति के तहत रेत खदानों को ग्राम पंचायतों को सौंपने का प्रावधान था। इसको ध्यान में रखते हुए जिले में ऐसी 13 रेत खदानें जो अभी तक शुरू नहीं हो पाई हैं उन्हें ग्राम पंचायतों को सौंपने की प्रक्रिया तेज हो गई है। इसके तहत कलेक्टर की ओर से खदान क्षेत्र की ग्राम पंचायतों के सचिव, सरपंचों और संबंधित जनपद सीईओ की बैठक भी बुलाई गई है। जिसको लेकर जिलेभर में सरगर्मी तेज हो गई है।
बैठक में पंचायत के लोगों को खदानों के संचालन के संबंध में भी विस्तृत जानकारी दी जाएगी। जिससे वे रेत खदानों का वैधानिक रूप से संचालन कर सकें। खनिज विभाग की ओर से कलेक्टर की अध्यक्षता में 9 दिसंबर को बैठक का आयोजन किया गया है। जिसमें जिला पंचायत सीईओ, जनपद सीईओ पवई, अजयगढ़, शाहनगर और गुनौर सीईओ को बैठक में शामिल होने के लिए निर्देशित किया गया है।
इसके साथ ही संबंधित पंचायतों के सरपंच और सचिवों को भी बैठक में उपस्थित रहने के लिए निर्देशित किया गया है। खनिज अधिकारी संतोष सिंह ने बताया, बैठक में सरपंच-सचिव और जनपद के सीईओ को खदानों के विधि सम्मत संचालन की प्रक्रिया के बारे में बताया जाएगा।
कम हो सकते हैं रेत के दाम
गौरतलब है कि जिले में करीब आधा दर्जन रेत खदानें धमरपुर और अजयगढ़ जनपद क्षेत्र में वैधानिक रूप से संचालित हैं। इनके अलावा आधा सैकड़ा से भी अधिक रेत खदानों का अवैधानिक रूप से संचालन किया जा रहा। इन रेत खदानों में ठेकेदारों द्वारा भारी भरकम मशीनों से रेत का उत्खनन किया जा रहा है। एक दर्जन से अधिक ऐसी रेत खदानें हैं जिनका पट्टा जारी हो चुका है, लेकिन संबंधितों ने अभी तक खदान का संचालन शुरू नहीं किया है।
नई रेत खदानें वैधानिक रूप से संचालित

जिससे रेत काफी महंगी मिल रही है। नई प्रक्रिया के बाद जिलेभर में एक दर्जन से भी अधिक नई रेत खदानें वैधानिक रूप से संचालित हो जाएंगी। खदानों में मजदूरों से ही काम कराना होगा, लेकिन रेत की उपलब्धता बढऩे के कारण उनके दाम कम होने की संभावना जताई जा रही है। इसके साथ ही स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और पंचायतों की आय भी बढ़ेगी।
विवादित स्थितियां बनने की आशंका
ग्राम पंचायतें इतनी सशक्त और मजबूत संस्थाएं नहीं हैं कि रेत खदान जैसी महत्वपूर्ण खदानों का संचालन कर सकें। जिन पंचायतों में सरपंच और सचिव कमजोर होंगे वहां स्थानीय दबंगों के दबाव में आने की आशंका भी बनी है। आर्थिक गड़बड़ी और विवादित स्थितियों के हालात आए दिन बनने की भी आशंका जताई जा रही है। अभी तक खदानों से किसानों को अच्छे खासे रुपए मिलते थे जिससे वे अपने खेतों से ट्रकों को निकलने देते थे। अब यह हो सकता है कि किसान अपने खेतों से ट्रकों को नहीं निकलने दें। जिससे विवाद बढऩे लगे।
इन खदानों को सौंपा जाएगा पंचायतों को
खनिज अधिकारी के अनुसार जिले की 13 खदानों को पंचायतों को सौंपा जाना है, जिनमें अजयगढ़ तहसील की मोहाना नंबर एक, स्वीकृत रकबा 12 हेक्टेयर हैं। इसके अलावा इसी तहसील की फरस्वाहा, बीरा नंबर ३ और नामनई की खदान को संबंधित पंचायतों को सौंपा जाएगा। पवई तहसील की पुरैना, सिंघासर, कैथी, पिपरिया, बडख़ेराकला, सुनवानी खुर्द और कोल करहिया की खदानें संबंधित पंचायतों को दी जाएंगी। इसी प्रकार रैपुरा तहसील की चंद्रावल नंबर १ और चंद्रावल नंबर दो खदानों को पंचायतों को सौंपा जाना है।
प्रदेश शासन के निर्णय के अनुसार शुरू नहीं हो पाई खदानों को ग्राम पंचायतों को सौंपना है। इसके लिए कलेक्ट्र द्वारा संबंधितों की बैठक बुलाई गई है। जिसमें ग्राम पंचायतों के सचिवों, सरपंचों और संबंधित सीईओ को खदानों के वैधानिक रूप से संचालन की प्रक्रिया के बारे में विस्तार पूर्वक बताया जाएगा।
संतोष सिंह, खनिज अधिकारी पन्ना

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