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बारिश ने बिगाड़ा खेती का गणित, 44 फीसदी कम धान की बोवनी

जिले में 77 हजार हेक्टेयर में है धान की बोवनी का लक्ष्यमानूसन के डेढ़ माह निकलने के बाद भी जिले में कुल लक्ष्य का करीब 19 फीसदी कम हो पाई बोवनी

पन्नाAug 02, 2019 / 02:13 pm

Shashikant mishra

बारिश ने बिगाड़ा खेती का गणित, 44 फीसदी कम धान की बोवनी

बारिश ने बिगाड़ा खेती का गणित, 44 फीसदी कम धान की बोवनी

पन्ना. मानसून सीजन के डेढ़ माह निकल जाने के बाद भी अभी तक जिले में मनसून कमजोर पड़ा हुआ है। जिलेभर में अच्छी बारिश नहीं होने के कारण सबसे अधिक धान के फसल की बोवाई प्रभावित हो रही है। अभी तक बीते साल की तुलना में करीब ४४ फीसदी धान की बोवनी कम हुई है। आगामी कुछ दिनों में यदि अच्छी बारिश नहीं होती है तो बुवाई की हालत और भी अधिक पतली हो सकती है। धाम बुवाई के लिए अच्छी बारिश का इंतजार कर रहे किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें साफ दिखाई देती हैं। किसान खेतों में नर्सरी उगाकर बैठे हंै, रोपा लगाने लायक बारिश ही नहीं हो पा रही है। अभी तक अधिकांश उन्हीं लोगों ने धान की बुवाई की है जिनके यहां सिंचाई के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी की व्यवस्था है।
गौरतलब है कि बुंदेलखंड क्षेत्र में मानसून के आगमन का समय १५ जून माना जाता है। इस साल जिले में मानसून की आमद करीब एक पखवाड़े लेट रही है। विलंब से बारिश शुरू होने के कारण फसलों की बोवनी का काम काफी विलंब से शुरू हुआ। 31 जुलाई की स्थिति में जिले में ३६१ मिमी. बारिश हुई है। कम बारिश के कारण उड़द, मूंग, अरहर आदि दलहनी फसलें तो बो ली गई हैं, लेकिन इस सीजन की प्रमुख फसल की खेती अच्छी बारिश नहीं होने के कारण काफी पिछड़ी हुर्इ है। बीते साल के मुकाबले ही अभी तक ४४ फीसदी कम बोवनी हो पाई है। किसान खेतों में धान की नर्सरी तैयार करके बैठें हैं कि अच्छी बारिश हो तो वे रोपा लगाना शुरू कर दें, लेकिन अब तक तो ऐसा नहीं हो पाया है। जिनके पास खुद के पानी की व्यवस्था नहीं है वे किराए से पानी लगवाकर किसी तरह से रोपा लगवा रहे हैं। बारिश नहीं होने के कारण धान की खेती काफी पिछड़ गई है। इस साल कृषि विभाग की ओर से 77 हजार हेक्टेयर में धान की बोवनी का लक्ष्य रखा गया था, जबकि 25 जुलाई स्थिति में सिर्फ २२ हजार हेक्टेयर में ही धान की बोवनी हो पाई थी। यह बीते साल हुई बोवनी ७५ हजार 660 हेक्टेयर से भी 44 फीसदी कम है। इससे धान की बोवनी के लिए बारिश का इंतजार कर रहे किसानों में मायूसी देखी जा रही है। खरीफ सीजन में अनाज की बुवाई का कुल लक्ष्य 81हजार 480 हेक्टेयर था, जबकि अब तक 46 हजार 390 हेक्टेयर में ही बोवनी हो पाई है।


इस वर्ष मानसून ने पन्ना जिले के किसानों को उदास किया है। अभी तक अच्छी बारिश नहीं होने की वजह से खरीब की बुवाई लेट हुई है । धान की फसल में सबसे ज्यादा पानी की जरूरत पड़ती है । अच्छी बारिश नहीं होने से धान र्की हजारों हेक्टेयर में प्रभाव पड़ा है । जिन फसलों की वुवाई कर दी गई है उन्हें पानी की आवश्यकता है । पानी नहीं मिलने की स्थिति में किसानों बहुत ज्यादा नुकसान होने की आशंका है । बारिश का प्रभाव रवि की फसल में भी देखने को मिलेगा ।
वेदनारायन विश्वकर्मा ,किसान

अभी बारिश कम होने से घबराने की स्थिति नहीं है। यदि आगामी ८-१० दिनों तक ऐसी ही स्थिति बनी रहती है तो जरूरत चिंता की बात होगी। किसान अभी रोपा की तैयारी तो कर ही रहे हैं। मानसून शिफ्ट हुआ है। यदि विलंब से बारिश शुरू हुई है तो विलंब तक बारिश होने की उममीद भी है। इसे रोपा वाली धान की बुवाई के लिए अभी समय है। जो किसान धान नहीं बो पाए रहे हैं वे ५५-६० दिन में पकने वाली मूंग की किस्म बो सकते हैं। किसान आलू, मटर अािद भी लगा सकते हैं।
डॉ. आशीष त्रिपाठी, वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक केवीके पन्ना

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