प्राणनाथजी की शोभायात्रा बंगलाजी मंदिर से निकलकर रासमंडल में पधराई गई। रविवार पूनम की रात जैसे ही श्रीजी की सवारी बंगलाजी दरबार से रासमंडल आई तो वहां उपस्थित हजारों सुंदरसाथ रास के रचईया के जयकारे करने लगे। यह अखंड रास पांच दिनी अंतरराष्ट्रीय शरद पूर्णिमा उत्सव के रूप में रात-दिन चलेगा। जागिनी रास महोत्सव का शुभारंभ इसी बंगलाजी मंदिर से हुआ। इसमें प्रणामी समुदाय के गादीपति, धर्मगुरू व संत शामिल हुए। सर्वप्रथम बंगलाजी मंदिर में सेवा, पूजा व आरती हुई। इसके बाद देर रात राजजी के दिव्य सिंहासन को मंदिर के पुजारियों ने कंधों पर लेकर शोभयात्रा निकाली गई। शोभायात्रा निकलते ही पूरा मंदिर परिसर जयकारों से गूंज उठा। शोभायात्रा ब्रह्म चबूतरे पर ही स्थित रासमंडल में पधराई गई।
शोभयात्रा की एक झलक पाने के लिए बेताब रहे हजारों सुंदरसाथ श्रीजी के रामंडल में आने के साथ ही झूम उठे। देश के कोने-कोने से आए सुंदरसाथ पारंपारिक वेश-भूषा में सुसज्जित जन अपनी-अपनी बोलियों में भजन-कीर्तन करते नजर आए। शाम ८ बजे के बाद हालात यह थे कि मंदिर परिसर में पैर रखने के लिए भी जगह नहीं मिल पा रही थी।