जिसके बाद प्रशासन द्वारा कम से कम पौधे काटे जाने की बात कही गईथी, लेकिन विरोध से बचन के लिए प्रशासन ने एक दर्जन से अधिक पेड़ों को रातोंरात कटवा दिया है। पेड़ों की कटाईअधिक नहीं दिखे इसके लिए उनकी लकड़ी को भी हटवा दिया गया। कलेक्ट्रेट तक पहुंचने के लिए अन्य कई स्थानों से भी मार्गका निर्माण किया जा सकता था। हालांकि प्रशासन द्वारा उक्त मार्ग को सर्वाधिक सुलभ बताया जा रहा था, जिसके लिए आंवला के फलते हुए पेड़ों की बलि दी गई।
यह पेड़ कब काटे गए इनकी जानकारी किसी को नहीं लगी। प्रशासन द्वारा रातोंरात दर्जनों की संख्या में पेड़ों को कटवा दिया गया। साथ ही पेड़ों की लकडिय़ांं भी ठिकाने लगवा दी। गुरुवार सुबह कुछ पेड़ों की लकडिय़ा ही मिलीं। रातों रात पेड़ कटवाए जाने को लेकर आम जनता में असंतोष है। पर्यावरण प्रेमियों को भी ऐसी उम्मीद नहीं थी।