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World Heritage-Day: पन्ना में चहुंओर बिखरी पड़ी पुरानी संपदा, सहेजने के नहीं किए जा रहे समुचित प्रयास

खंडहर हो रहा अजयपाल का किला, दफीनाखोरों ने खोद डाले मकबरे और छत्रसाल की हवेली के आसपास का क्षेत्र

पन्नाApr 18, 2018 / 02:02 pm

suresh mishra

World Heritage-Day panna news in hindi

World Heritage-Day panna news in hindi

पन्ना। महाराजा छत्रसाल की नगरी पन्ना में पुरा संपदा यहां-वहां बिखरी पड़ी है। इसको सहेजने और संवारने के समुचित प्रयास नहीं किए जा रहे हैं। इसके कारण लोगों को वैभवशाली इतिहास के बारे में जानकारी नहीं मिल पा रही है। अजयगढ़ का किला संरक्षित स्मारक घोषित होने के बाद भी इसका समुचित रखरखाव नहीं हो रहा है। इसके कारण पर्यटकों की दूरी बनी है। इसके अलावा मोहंद्रा में भी जगह-जगह खुदाई के दौरान हजारों साल पुरानी प्राचीन प्रतिमाएं मिल जाती हैं। जिनको सुरक्षित करने के लिए अभी तक समुचित प्रयास नहीं किए जा रहे हैं।
गौरतलब है कि सलेहा क्षेत्र पुरा संपदा के मामले में सबसे समृद्ध क्षेत्र है। यहां पांचवीं से लेकर 11वीं शताब्दी तक की पाषण प्रतिमाएं मिल जाती हैं। जिला पुरातत्व संग्रहालय में यहां से मिली प्रतिमाओं की लंबी फेहरिस्त है। नचने का चौमुखनाथ और पार्वती मंदिर दुनिया के प्राचीनतम मंदिरों में से माने जाते हैं। ये संरक्षित स्मारक भी हैं। नचने के मंदिरों को गुप्त कला 5वीं और 6वीं शताब्दी का माना जा रहा है। वहीं चौमुखनाथ का चतुर्मखी मंदिर ९वीं शताब्दी का है।
सालों से खाली स्वीकृत पद
जिला मुख्यालय के हिंदुपत महल में पुरातत्व संग्रहालय स्थित है। यहां संग्रहालयाध्यक्ष का पद सालों से रिक्त पड़ा है। इसके कारण जिले की पुरा संपदा को संरक्षित करने का काम व्यवस्थित तरीके से नहीं हो पा रहा है। यहां महाराजा छत्रसाल के वंशजों के मकबरे धीरे-धीरे खंडहर में बदलते जा रहे हैं।
गड़े धन को पाने की लालच में खोद डाला

इनके संरक्षण की दिशा में किए जा रहे प्रयास नाकाफी साबित हो रहे हैं। महाराजा छत्रसाल की गढ़ी और मुख्यालय में बने मकबरों के दफीनाखोरों ने गड़े धन को पाने की लालच में खोद डाला है। महाराजा छत्रसाल के गुप्त निवास स्थान कही जाने वाली गढ़ी और इसके आसपास का क्षेत्र इन दिनों चौपड़ा मंदिर के नाम से पहचाना जाता है। जिसका संरक्षण प्राणनाथ मंदिर ट्रस्ट की ओर से किया
जा रहा है।
खंडहर हो रहे मकबरे
जिला मुख्यालय में महाराजा छत्रसाल के वंशजों के करीब एक दर्जन मकबरे हैं। उनमें से ज्यादातार मकबरों को दफीनाखोरों ने अपना निशाना बनाया। इनके संरक्षण की दिशा में ध्यान नहीं दिए जाने से कई मकबरे तो ढहने की कगार पर हैं। मकबरों के ऊपर बड़े-बड़े पेड़ उग आए हैं। जिनके कारण इनका अस्तित्व खतरे में है। यहां के एतिहासिक स्थलों का पर्यटन केंद्र के रूप में विकास नहीं होने के कारण वे उपेक्षित हैं और खंडहर में तब्दील होकर अपना अस्तित्व खोते जा रहे हैं। हालांकि पुरातत्व विभाग ने कुछ मकबरों को संरक्षित करने की पहल की है, लेकिन ज्यादातर अभी भी उपेक्षित हैं।
पुरातत्व संग्रहालय में कार्यक्रम कल से
नगर के हिंदुपत महल स्थित पुरातत्व संग्रहालय में 19 से 25 अप्रैल तक भारतीय चित्रकला में रामकथा विषय पर छात्राचित्र प्रदर्शनी का आयोजन किया जा रहा है। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि नपाध्यक्ष मोहनलाल कुशवाहा होंगे। प्रदर्शनी का शुभारंभ शाम ४ बजे होगा। इसके बाद प्रदर्शनी को प्रतिदिन सुबह 10 से शाम पांच बजे तक नि:शुल्क देखा जा सकेगा।
मोहंद्रा संग्रहालय से दो बार चोरी हुईं बेशकीमती प्रतिमाएं
मोहंद्रा स्थित पुरातत्व विभाग का पुराना संग्रहाल भवन जर्जर हालत में है। नया भवन अभी तक बनकर तैयार नहीं हुआ है। इसके कारण यहां से पूर्व में दुर्लभ प्रतिमाओं की दो बार चोरी हो चुकी है। संग्रहालय के पीछे वाली दीवार फट गई है। इससे इसके कभी भी ढह जाने की आशंका है।
प्रतिमाएं कबाड़ की भांति संग्रहित
इसी को देखते हुए पुरात्तव विभाग की ओर से यहां नवीन संग्रहालय भवन का निर्माण काराया जा रहा है। पुराने संग्रहालय भवन में बेशकीमती प्रतिमाएं कबाड़ की भांति संग्रहित हैं। यही कारण है कि यहां की लचर व्यवस्थाओं का फायदा उठाकर अज्ञात चोर बीते सालों में दो बार बेशकीमती प्रतिमाओं के चोरी की वारदात को अंजाम दे चुके हैं। इसके बाद भी यहां की व्यवस्थाओं की ओर जिम्मेदार लोगों द्वारा ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
जिले में हिंदुपत महल, डोलियामठ सेमरिया और नांदचांद मंदिर सहित चार संरचित स्मारक हैं। पांच मकबरों की अधिसूचना जारी हो गई है। जल्द पुरातत्व विभाग के अंडर में आ जाएंगे। समुचित प्रयास किए जाएंगे।
डॉ. गोविंद बाथम, सहायक संग्रहालयाध्यक्ष ग्वालियर व पन्ना जिला प्रभारी
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