डॉ प्रेम कुमार ने ‘पत्रिका’ से कहा कि मैं 48 सालों से राजनीति में हूं। पिछले चालीस वर्षों से चुनावी राजनीति में हूं। मुझे आम लोग बेहतर ढंग से जानते समझते हैं। लगातार मैंने जनता का विश्वास जीतने में सफलता पाई है। माना जा रहा है कि प्रेम कुमार गया संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ने की इच्छा रखते हैं, लेकिन यह सीट अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित है। ऐसे में मगध प्रमंडल की किसी दूसरी संसदीय सीट से वह चुनाव लड़ने की पेशकश कर सकते हैं। इस बाबत उन्होंने कहा कि वह किसी भी सीट से चुनाव लड़ने को राजी हैं।
प्रेम कुमार के अतिरिक्त पार्टी के कई दूसरे विधायक और मंत्री भी चुनाव लड़ने की दौड़ में शामिल होना चाहते हैं। विधान पार्षद और सूबे के मंत्री रहे गिरिराज सिंह तथा भागलपुर से विधायक चुने जाते रहे अश्विनी कुमार चौबे ऐसी इच्छा रखने वाले नेताओं के आदर्श बने हैं, जिन्होंने जीतने के बाद केंद्रीय मंत्रिमंडल में अपनी जगह बनाई।
गहराता जा रहा कुशवाहा और नीतीश के बीच विवाद
इधर बिहार में सीट शेयरिंग को लेकर एनडीए के सहयोगी दलों में खींचतान जारी है। केंद्रीय मंत्री और रालोसपा नेता उपेंद्र कुशवाहा लंबे समय से सीट शेयरिंग की बात सुलझाने की बात कहते आए है। पर इन दिनों कुशवाहा सूबे के सीएम नीतीश कुमार के खिलाफ मुखर होते नजर आए है। कुशवाहा कानून व्यवस्था व अन्य मुद्यों को लेकर सीएम पर निशाना साध चुके है। कुशवाहा की इन सब बातों से जदयू नेता असहज हो गए है और भाजपा पर रालोसपा नेता से रिश्ते तोडने पर दबाव बना रहे है। पर भाजपा इन दोनों की झगडे से दूरी बनाते नजर आ रही है।