पटना गांधी मैदान पहुंचने वाले सभी बाहरी मार्गों को शनिवार शाम के बाद ही वनवे कर दिया गया। सुरक्षा व्यवस्था ऐसी कि सेक्यूरिटी पासधारक ही गाड़ियां लेकर गांधी मैदान के आसपास पहुंच सकेंगे। गांधी सेतु, काईलवर पुल,मोकामा सेतु समेत अन्य मार्गों पर पूरी चौकसी बरती गई है। साथ ही बिहार के सभी जेलों में शनिवार को विशेष छापेमारी अभियान चलाकर खूंखारों पर विशेष नज़र रखी गई। एन.आई.ए को मिली खुफिया सूचनाओं के बाद सुरक्षा एजेंसियां और भी अधिक चाक चौबंद व्यवस्था में जुट गई हैं।
रैली को लेकर पूरे सूबे में पिछले दस दिनों से जदयू,भाजपा,लोजपा की प्रचारात्मक अभियान चलाया गया। इसमें भारी संख्या में गांधी मैदान पहुंचने की लोगों से अपील की गई। यह रैली खासतौर से इसलिए भी अहम हो गई है कि आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव के जेल में रहते इसका इस तरह से आयोजन हो रहा है जब राजनीति में लंबे अंतराल तक भाजपा से अलगाव के लिए चर्चित नीतीश कुमार मंच पर साथ होंगे। खास बात यह भी कि प्रधानमंत्री पुलवामा हमले के बाद वायुसेना की पाकिस्तान में जैश-ए मोहम्मद के प्रशिक्षण कैंपों पर सफल हमले और विंग कमांडर अभिनंदन की स्वदेश वापसी के बाद पाकिस्तान पर बने अंतर्राष्ट्रीय दबाव के बाद आम जनों के बीच कहीं और अधिक चर्चा में हैं। रैली में इसे लेकर उत्साहित जनसमूह के पहुंचने के बड़े आसार हैं।
प्रधानमंत्री इस दौरान गांधी मैदान में और जबर्दस्त उत्साह से लबरेज कई अहम घोषणाएं कर सकते हैं। लोकसभा चुनाव के लिए एनडीए के सीट बंटवारे के बाद उम्मीदवारों की घोषणा भी गांधी मैदान की रैली में ही होने के कयास लंबे समय से लगाए जा रहे हैं। भाजपा-जदयू सत्रह सत्रह और लोजपा छः सीटों पर चुनाव लड़ेगी। प्राप्त जानकारी के मुताबिक दलों में चार पांच सीटों की अदलाबदली और उम्मीदवारों के चयन में अब भी पेंच है। संभव रैली के दौरान उम्मीदवारों की घोषणा से परहेज़ किया जाए। इस बीच सूचनाएं यह भी मिल रही हैं कि रैली में कुछ विरोधी नेताओं को भी एनडीए घटक दलों में शामिल होने की घोषणाएं मुमकिन हों। एनडीए के उलट महागठबंधन में अब तक सीट शेयरिंग नहीं हो पाने से भी कई नेताओं में निराशा है।