मानसिक व शारीरिक तौर पर प्रताडि़त
एशियाई विकास अनुसंधान संस्थान की रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई है। रिपोर्ट के मुताबिक लॉक डाउन की अवधि में ज्यादातर घरेलू हिंसा के मामले मामूली मुद्दों को लेकर हुए हैं। जैसे घरेलू कामकाज को महिलाओं पर पति और ससुराल के अन्य सदस्यों द्वारा टीका-टिप्पणी करना। उन्हें मानसिक तौर पर प्रताडि़त करना। महिलाओं पर उनके पीहर को लेकर भद्दी टिप्पणियां करना। लॉक डाउन के कारण घर में एक साथ सारे सदस्यों की मौजूदगी से भी तनाव बढ़ा है। इसका सर्वाधिक असर महिलाओं पर पड़ा है। उनके निजी मामलों में हस्तक्षेप बढ़ गया है।
नौकरी जाने से बढ़े हिंसा के मामले
कई परिवारों में नौकरी का नुकसान हुआ है। इसके परिणामस्वरूप, कई पुरुष परिवार में महिलाओं पर अपनी कुंठा को बाहर निकाल रहे हैं। कुछ लोग दिवालियापन का शिकार हो गए। ऐसे में पारिवारिक विवादों के कारण बहुत तनाव पैदा किया है। लॉकडाउन की वजह से ऑफिस और स्कूल बंद होने के साथ ही कई जोड़े अपने रिश्तों में कठिनाइयों से गुजरे हैं। मौखिक रूप से किया गया दुव्यज़्वहार, शारीरिक हिंसा के लिए आगे बढ़ाता है। अब जब अनलॉक का दौर राज्य में शुरू हो चुका है तो संस्थान ने भी ऑफिस को फिर से खोल दिया है। ताकि पंजीकृत मामलों को निपटाया जा सके।
राज्य महिला आयोग में 1 हजार शिकायतें
इससे पहले बिहार राज्य महिला आयोग ने मई से अब तक 1,000 से अधिक ऐसी शिकायतें दर्ज की हैं। इनमें भी ज्यादातर शिकायतें एक जैसी हैं। रोजगार छिन जाने के कारण घर-परिवार में होने वाले कलह का शिकार महिलाएं बन रही हैं। महिलाओं से अभद्रता के साथ हिंसा की वारदातें बढ़ गई हैं। ऐसे मामलों में पुलिस हस्तक्षेप भी आसान नहीं है। आयोग अपने स्तर पर और जिला स्तर पर प्रशासन के सहयोग से पीडि़ताओं के परिवार के सदस्यों की काउंसलिंग से मामलों को निपटाने का प्रयास कर रहा है।