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पटना

विश्वामित्र तपोस्थली में बक्सर की पंचकोसी परिक्रमा करने से मिलता है भगवान राम का आशिर्वाद और घर में होता है मंगल

महर्षि विश्वामित्र की तपोस्थली बक्सर के अहिरौली से पंचकोसी परिक्रमा की शुरुआत हो गई। इस दौरान श्रद्धालु हर दिन अलग अलग व्यंजनों का भोग लगाते हुए पांच स्थानों पर रात्रि पड़ाव डालते हैं। परिक्रमा में बिहार और उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों के लोग भाग लेने पहुंचे हैं।

पटनाNov 18, 2019 / 05:59 pm

Navneet Sharma

विश्वामित्र तपोस्थली में बक्सर की पंचकोसी परिक्रमा करने से मिलता है भगवान राम का आशिर्वाद और घर में होता है मंगल

विश्वामित्र तपोस्थली में बक्सर की पंचकोसी परिक्रमा करने से मिलता है भगवान राम का आशिर्वाद और घर में होता है मंगल

बक्सर .प्रियरंजन भारती

महर्षि विश्वामित्र की तपोस्थली बक्सर के अहिरौली से पंचकोसी परिक्रमा की शुरुआत हो गई। इस दौरान श्रद्धालु हर दिन अलग अलग व्यंजनों का भोग लगाते हुए पांच स्थानों पर रात्रि पड़ाव डालते हैं। परिक्रमा में बिहार और उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों के लोग भाग लेने पहुंचे हैं।

भगवान श्रीराम के प्रवास काल से चली आ रही व्यवस्था
मान्यताआओं के अनुसार भगवान श्रीराम ने अयोध्या के राजमहल से पहली बार पांव बाहर निकाल ते हुए गुरु विश्वामित्र के आमंळण पर यहां चरित्रवन में उनके आश्रम पधारे और भ्राता लक्ष्मण के साथ ऋषियों की तपस्या में बाधक राक्षसों का संहार किया था। प्रभु श्रीराम ने चरित्रवन के आसपास पांच कोस में रहने वाले ऋषि मुनियों के यहां एक एक रात बिताते हुए पांच प्रकार के व्यंजनों का भोग लगाया और मुनियों का आशीर्वाद लिया था। इसी की याद में पंचकोसी परिक्रमा निरंतर आज तक आयोजित होती आ रही है। पहले चरण में अहिरौली स्थित अहिल्या स्थान में पहुंचकर श्रद्धालुओं ने पुआ पकवान का भोग लगाया। यात्रा का समापन इक्कीस नवंबर को होगा।

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