भगवान श्रीराम के प्रवास काल से चली आ रही व्यवस्था
मान्यताआओं के अनुसार भगवान श्रीराम ने अयोध्या के राजमहल से पहली बार पांव बाहर निकाल ते हुए गुरु विश्वामित्र के आमंळण पर यहां चरित्रवन में उनके आश्रम पधारे और भ्राता लक्ष्मण के साथ ऋषियों की तपस्या में बाधक राक्षसों का संहार किया था। प्रभु श्रीराम ने चरित्रवन के आसपास पांच कोस में रहने वाले ऋषि मुनियों के यहां एक एक रात बिताते हुए पांच प्रकार के व्यंजनों का भोग लगाया और मुनियों का आशीर्वाद लिया था। इसी की याद में पंचकोसी परिक्रमा निरंतर आज तक आयोजित होती आ रही है। पहले चरण में अहिरौली स्थित अहिल्या स्थान में पहुंचकर श्रद्धालुओं ने पुआ पकवान का भोग लगाया। यात्रा का समापन इक्कीस नवंबर को होगा।