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पटना

बिहार में कुशवाहा और नीतीश के बीच विवाद सतह पर,ऊहापोह में भाजपा

उपेंद्र कुशवाहा ने राज्‍य में कानून व्यवस्था को लेकर नीतीश सरकार पर हमले तेज कर दिए हैं…

पटनाSep 04, 2018 / 08:04 pm

Prateek

(पत्रिका ब्यूरो,पटना): एनडीए की सीट शेयरिंग के बहाने शुरु हुए विवाद में भाजपा भी ऊहापोह में फंस गई है। बिहार में नीतीश और कुशवाहा के बीच मचा घमासान सतह पर आ चुका है। उपेंद्र कुशवाहा ने राज्‍य में कानून व्यवस्था को लेकर नीतीश सरकार पर हमले तेज कर दिए हैं।


उपेंद्र कुशवाहा ने मंगलवार को कहा कि अपराधियों के मन से पुलिस प्रशासन का डर खत्म हो गया है। नीतीश कुमार इसकी समीक्षा करें कि राज्य में जो अराजकता फैली है उसके क्या कारण हैं। आपराधिक घटनाएं लगातार चुनौती बनकर सामने आ रही हैं। कुशवाहा ने हाजीपुर के वार्ड पार्षद संजीव सिन्हा हत्याकांड में पीड़ित परिजनों से मुलाकात के बाद यह बात कही। यह कोई पहला मौका नहीं है जब कुशवाहा ने नीतीश सरकार को कटघरे में खड़ा करने का प्रयास किया। कुशवाहा लगातार राज्य की शिक्षा के स्‍तर और गिरती कानून व्यवस्था पर तल्ख टिप्पणियां कर चुके है।

 

कुशवाहा को एनडीए से बाहर करना चाहते हैं नीतीश

उपेंद्र कुशवाहा की लगातार प्रतिकूल टिप्पणियों से नीतीश कुमार और उनकी पार्टी के नेता असहज हो गए हैं। नीतीश चाहते हैं कि कुशवाहा की पार्टी एनडीए से बाहर कर दी जाए। तर्क यह दिया जा रहा है कि जदयू 2014 के लोकसभा चुनाव में जब एनडीए से अलग था तब कुशवाहा एनडीए में आए थे। अब जदयू की एनडीए में वापसी के बाद उनकी ज़रूरत नहीं रह गई है। तो भाजपा ही उनसे रिश्ता खत्म करे। तय है कि यह केवल सीट शेयरिंग का विवाद भर नहीं रह गया है। इसके पीछे कुशवाहा का वोट बैंक और उनकी सियासी महात्वाकांक्षा है। हालांकि रालोसपा सीट शेयरिंग को लेकर नाराज़गी सार्वजनिक कर चुकी है। पार्टी का तर्क है कि 2014 में उसे तीन सीटें तालमेल में दी गई और तीनों पर जीत हासिल कर पार्टी ने शत प्रतिशत सफलता का रिकॉर्ड बनाकर दिखाया। अब पार्टी का सांगठनिक विस्तार हो चुका है। लिहाज़ा पार्टी अब दो सीटों पर संतोष करने वाली नहीं है।

 

भाजपा कुशवाहा को नज़रअंदाज़ नहीं कर रही


नीतीश कुमार कुशवाहा को लेकर बेशक नाराज़ हैं और भाजपा पर उनसे रिश्ता तोड़ने का दबाव बना रहे पर भाजपा कुशवाहा को चुनावी गणित के लिहाज़ से नज़रअंदाज़ नहीं कर पा रही। पार्टी के एक विधायक और मंत्री ने कहा कि कुशवाहा के जनाधार की अनदेखी नहीं की जा सकती। पार्टी नीतीश और कुशवाहा के झगड़ों से खुद को अलग रखना चाहती है। तर्क यह भी दिया जा रहा है कि इसी वोट बैंक के आधार वाले अपना दल और भारतीय समाज पार्टी ने यूपी में भाजपा का साथ देकर सपा बसपा को पिछले लोकसभा चुनाव में बुरी तरह पराजित कर दिया था। भाजपा अभी 2019 के लोकसभा चुनावों पर ज्यादा फोकस कर रही है। पार्टी के नेता और मंत्री विजय सिन्हा का तर्क है कि अभी नरेन्द्र मोदी को दोबारा प्रधानमंत्री बनाना भाजपा का पहला एजेंडा है। इस बाबत कुशवाहा ने यह बयान देकर भाजपा की नाजुक नस दबाई कि एनडीए के कुछ नेता नरेंद्र मोदी को दोबारा प्रधानमंत्री बनने नहीं देना चाहते। रालोसपा के कुछ नेताओं की मानें तो कुशवाहा ऐसा कहते हुए नीतीश कुमार की ओर ही इशारे कर गए हैं।

 

अब के हालात में भाजपा चिंतित

ताज़ा हालात में भाजपा जदयू और रालोसपा के झगड़ों में सिर डालने से साफ बचती दिख तो रही है पर कुशवाहा से किनारा करने से भी पीछे हट रही दिखती है। लेकिन जदयू कुशवाहा का ठीकरा भाजपा के सिर पर ही फोड़ने की कवायद कर रही है। पार्टी नेता 20-20 के सीट बंटवारे वाले फॉर्मूले से सहमति दिखाने की बजाय 12 के आंकड़े पर संतोष नहीं दिखा रहे। ऐसे में भाजपा की चिंताएं भी कुछ कम होती नहीं दिख रही हैं।

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