दरअसल कांग्रेस के विधायक दल में जल्दी ही विभाजन के आसार हैं। विभाजन के लिए कमोबेश दर्जन भर विधायक तैयार बैठे हैं। इनकी दो तिहाई संख्या पूरी होते ही विभाजन किसी क्षण संभव हो सकता है। इधर आरजेडी के विधायकों में गारंटी नहीं दी जा सकती कि तय होने के बावजूद सभी खरीद फरोख्त से बचे रहकरजरूरत के मुताबिक कांग्रेस प्रत्याशी को वोट करेंगे ही। लिहाजा कांग्रेस के प्रत्याशी का राज्यसभा पहुंच पाना अधरझूल में है।
पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अशोक चौधरी के जदयू में चले जाने के बाद प्रदेश कांग्रेस में अलग से धमाचौकड़ी मची है। पार्टी में गुटबंदी जमकर हावी हो गई है। प्रदेश अध्यक्ष कौकब कादरी कई दफा दिल्ली दौड़ लगा चुके हैं उनका कहना है कि सब कुछ केंद्रीय नेतृत्व ही तय करेगा। हालांकि वह जितनी बार दिल्ली दौड़ लगा रहे हैं,दावेदारों की संख्या उतनी ही बढ़ जा रही है। कादरी ने कहा कि दावेदारों की संख्या, बगावत की आशंका और आरजेडी के सहयोग की सीमाओं के बारे में विस्तार से
राहुल गांधी को बता दिया है।
कांग्रेस का बिहार से अभी राज्यसभा में एक भी सदस्य नहीं है। आरजेडी प्रमुख लालू यादव से नजदीकी के चलते अभी पूर्व केंद्रीय मंत्री अखिलेश प्रसाद सिंह इस दौड़ में सबसे आगे चल रहे हैं। इसके अतिरिक्त पूर्व लोकसभाध्यक्ष मीरा कुमार, पूर्व मंत्री सीपी जोशी, डॉ शकील अहमद और जनार्दन द्विवेदी के नाम प्रमुख हैं।
राज्यसभा की एक संभावित सीट के लिए कांग्रेस जैसा घमासान किसी और दल में नहीं है। सभी छह सीटें एनडीए की खाली हो रही हैं। एनडीए के दोनों प्रमुख दलों, जदयू और भाजपा दोनों ने अपने उम्मीदवार तय कर लिए हैं। मात्र औपचारिक एलान होना बाकी भर है। चुनाव 24 मार्च को कराए जाएंगे। 243 सदस्यों वाली विधान सभा में अभी जदयू के 70 भाजपा के 52 आरजेडी के 79 और कांग्रेस के 27 सदस्य हैं। दो सीटों पर उपचुनाव हो रहे है। बाकी सीटों पर निर्दलीय तथा अन्य हैं।