कांग्रेस की बढ़ी हुई दावेदारी पर महागठबंधन के प्रमुख दल आरजेडी को एतराज है। यही वज़ह है कि सीट शेयरिंग का फॉर्मूला अभी तय नहीं हो पा रहा है। सूत्रों के अनुसार कांग्रेस ने बीते दिनों प्रदेश में एक सर्वे कराया। यह सर्वे एक राष्ट्रीय एजेंसी से कराया गया। नतीजा यह निकला कि पार्टी की स्वीकार्यता बढ़ी है। राहुल गांधी के प्रति लोग पहले से अधिक भरोसा कर रहे हैं।
सर्वे में कहा गया कि दो बार चुनाव लड़कर हार चुके उम्मीदवारों को इस बार उम्मीदवार नहीं बनाया जाना चाहिए। इससे जीतने की संभावना प्रबल होगी। सर्वे में कुल पंद्रह सीटों की पहचान की गई जिन पर चुनाव लड़कर पार्टी जीत सकती है। सर्वे की रिपोर्ट राहुल गांधी को भी सौंप दी गई है।
सूत्रों का दावा है कि कांग्रेस के दावों पर महागठबंधन के बड़े दल आरजेडी को यह कतई मंजूर नहीं है। आरजेडी कम से कम बीस सीटों पर चुनाव लड़ना चाह रहा है। ऐसे में शेष बीस ही बाकियों के लिए बचता है। उपेंद्र कुशवाहा संतोषजनक और सम्मानजनक समझौते के लिए एनडीए छोड़कर आए हैं। जीतन राम मांझी की भी यही दशा है। दोनों को कमसे कम पांच सीटें चाहिए ही।शरद यादव और मुकेश सहनी समेत बसपा-सपा को भी दो से तीन सीटें चाहिए। वामपंथी दलों को भी दो-दो सीटें चाहिए। ऐसे में सीट शेयरिंग का गणित शुरुआत होने के पहले ही उलझ गया है और बात आगे नहीं बढ़ पा रही है।