इससे पहले परिषद के पूर्व कार्यकर्ता रहे छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष दिव्यांशु भारद्वाज को जदयू में शामिल कराया। दिव्यांशु पर प्रचार के दौरान हमले हुए तो परिषद के नेताओं के खिलाफ नामजद प्राथमिकी दर्ज करवाई और छात्रावासों में रेड करवाई। पीके ने सिर्फ इतना ही नहीं, बल्कि महिला कॉलेजों के प्रिंसिपल से मिलकर साम-दाम, दंड-भेद की नीतियों का इस्तेमाल करते हुए मतदान को पक्ष में करने की जुगत लगाई। इन सब से बदनामी हुई, तो सरकार ने मामले को दूसरा मोड़ देते हुए ध्यान बांटने के लिए तेजस्वी के बंगले का मुद्दा उठवा दिया और नीतीश खुद यात्रा पर निकल गए।
जानकार बताते हैं कि पीके ने पहली बाजी पीयू छात्र संघ चुनाव में भाजपा से छीनी है। जानकार यह भी बताने से नहीं चूक रहे कि भाजपा से बराबरी की सीटें लोकसभा चुनावों में झटक कर जदयू के ये नेता भाजपा को नुकसान पहुंचाने से नहीं चूकने वाले। अधिक सीटों पर अपनी जीत दर्ज करवाएंगे और वक्त आने पर भाजपा को दुलत्ती मारने से भी नहीं चूकेंगे। भाजपा को मुकाबले में घेरने के लिए ऐसे मुद्दे भी उभारने से नही चूकेंगे कि आरजेडी की लोकप्रियता बढ़े।