आरजेडी और जदयू के बीच कांटे की टक्कर
सत्तर फीसदी मुस्लिम आबादी वाले इस क्षेत्र में चुनावी लड़ाई भी आरजेडी और जदयू के बीच हो रही है। जदयू ने मुर्शीद आलम को उम्मीदवार बनाया है तो सरफराज आलम की खाली की हुई सीट पर परिवार का कब्जा बरकरार रखने के लिए आरजेडी की ओर से तसलीमुद्दीन के दूसरे बेटे और सरफराज के भाई शाहनवाज आलम को खड़ा किया गया है। लड़ाई इन्हीं दोनों के बीच से होते हुई निर्णायक होगी।
यह सीट सही कहें तो मुस्लिम बहुल होने के कारण तसलीमुद्दीन के असर वाली है। अब तक हुए तेरह में से नौ चुनावों में तसलीमुद्दीन का ही यहां डंका बजा है। लेकिन सरफराज आलम के जदयू में शामिल होने के बाद जदयू यहां लगातार चार बार चुनाव जीत चुका है। कायदे से कहें तो यह सीट फिलहाल जदयू की ही कही जाएगी। लेकिन अररिया लोकसभा उपचुनाव से पूर्व सरफराज जदयू छोड़ आरजेडी में शामिल हो गए और चुनाव लड़कर सांसद बन गए। उनकी खाली की हुई सीट पर अब उन्हीं के छोटे भाई शाहनवाज आलम ताल ठोक रहे हैं। लिहाजा जदयू के मुर्शीद आलम को कड़े मुकाबले का सामना करना पड रहा है। जदयू का मुसलमानों को रिझाने का हरसंभव प्रयास है। लेकिन भाजपा के साथ होने से मुस्लिम समाज उन्हें अब भी कितना पसंद करता है,यह इस उपचुनाव में तय हो जाएगा।
नीतीश कुमार करेंगे चुनावी सभा
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 24 मई को यहां चुनाव सभा कर वोटरों को लुभाने की कोशिश करेंगे। जबकि आरजेडी कांग्रेस का सहयोग लेकर चुनावी अभियान में लगातार डटी है। अब देखना होगा कि आखिर ताज किसके सिर चढ़ता है।