शिक्षा विभाग के अफसरों को जांच में पता चला कि चार हजार से अधिक छात्रों का नामांकन बाहर के फर्जी विश्वविद्यालयों में कराने के साथ दलालों की मदद से तीन करोड़ रुपये सरकारी फंड से निकाल लिए गए।
4100 छात्र प्रभावित
4100 छात्रों के नामांकन उत्तर प्रदेश,राजस्थान, मध्य प्रदेश और पंजाब के ऐसे विश्वविद्यालयों में बिना पारदर्शी प्रक्रिया अपनाए करा दिए गए जहां कोई इंफ्रास्ट्रक्चर तक नहीं है। ऐसे विश्वविद्यालयों में मानकों का न तो कोई अनुपालन किया जा रहा न ही नामांकन के लिए सीटों की कोई सीमा निर्धारित है। नामांकन के साथ ही ऋण की निर्धारित राशि दलालों की मदद से फटाफट निकाल ली गई। इसके साथ ही नामांकन वाले छात्रों का भविष्य भी दांव पर लग गया है।
जांच में जुटा शिक्षा विभाग
शिक्षा विभाग ( Bihar Education Department ) अब इन मामलों की जांच में जुट गया है। साथ ही अब यह तय कर दिया गया कि योजना का लाभ सिर्फ यूजीसी से मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालयों में पढ़ाई कर रहे छात्रों को ही दिया जाएगा। फिलहाल इस योजना का औचित्य दांव पर लग गया है।