हर समय में बहस चलती आ रही है उन्होंने कहा कि हुसैन, रजा के समय में भी यह बहस थी कि आधुनिक और समकालीन कलाओं से पारंपरिक व लोक कलाएं अलग नहीं है। इनका जुड़ाव हर समय रहा है। बहुत से कंटेम्परेरी कलाकारों ने फोक और ट्रेडिशनल आर्ट स्टाइल के साथ जुड़ाव रखकर अपनी अलग पहचान बनाई। इन बदलावों की वजह से भी लोगों का नजरिया भी चैंज हुआ। कार्यक्रम में प्रयाग शुक्ल के बनाए चित्रों को भी प्रदर्शित किया गया। इस मौके पर प्रदेश के वरिष्ठ चित्रकार विद्यासागर उपाध्याय, पत्रकारिता यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर ओम थानवी, अकादमी के सचिव रजनीश हर्ष, वरिष्ठ चित्रकार नाथूलाल वर्मा, जगमोहन माथोडिया, मीनू श्रीवास्तव, विनय शर्मा, अकादमी के पूर्व सचिव सुरेन्द्र सोनी, कला समीक्षक राजेश व्यास सहित कई लोग मौजूद रहे।