चंद्रयान-2 मिशन के बारे में स्टूडेंट्स के प्रश्नों के उत्तर देते हुए उन्होंने बताया कि इस मिशन पर भारत ने लगभग 760 करोड रूपए खर्च किए है, जो कि विश्व में सबसे कम खर्च वाला मून प्रोजेक्ट है। जिस प्लानिंग के साथ शुरुआत हो रहा है उसके बाद सब कुछ सुनियोजित तरीके से ही हो रहा है। दूसरी कक्षा में प्रवेश करने के बाद अब मैनुवर के वेग को घटाया जा रहा है, ताकि चंद्रयान सही तरीके से धीरे-धीरे चंद्रमा की सतह पर उतर सके। दो दिन बाद भारत का यह मिशन पूरी तरह सफल हो जाएगा। मिशन की उपयोगिता के बारे में उन्होंने कहा कि चंद्रमा के दक्षिणी धु्रव पर पानी एवं खनिजों की बहुतायत है, जो हमारे लिए रिसर्च एवं सवाइवल के लिए काफी महत्वपूर्ण भी है। साल 2050 तक धरती पर जनसंख्या का इतना दबाव होगा, तब हमें चंद्रमा व अन्य ग्रहों पर मानव बसावट के बारे में सोचना ही होगा। इसीलिए इस प्रकार के मिशन चलाना आवश्यक हैं।
मंगलयान और शुक्र ग्रह पर स्पेस क्राफ्ट भेजने की प्लानिंग
उन्होंने कहा कि इसरो में चंद्रयान-2 की सफलता के बाद मंगलयान और फिर शुक्र ग्रह पर अपने स्पेस क्राफ्ट भेजने की दिशा में भी काम चल रहा है। डॉ. कलाम के साथ अपने कार्य अनुभव को साझा करते हुए उन्होंने कहा कि वे बहुआयामी कार्यशैली में विश्वास रखने वाले व्यक्ति थे, जिनका कहना था कि छात्रों को किसी एक विषय में अपने ज्ञान को सीमित नहीं रखना चाहिए। किसी एक विषय में आपकी डिग्री केवल आपकी नियुक्ति के काम आती है। उसके बाद आपको विविध विषयों का ज्ञान होने पर ही आप स्पेस सेंटर से जुडे शोध कार्य में सफलता प्राप्त कर सकते है। कार्यक्रम में कॉलेज के डायरेक्टर डॉ. डी जी महतो, डॉ. सुनीता रावत एवं कार्यक्रम संयोजक डॉ. नरेश चंदनानी ने डॉ. प्रसाद को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया।