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अन्तर्मुखी -21: क्यों होते-होते रह जाते हैं काम

हम गाहे-बगाहे अपने नकारात्मक विचार दूसरों को बताते हैं, अपनी कमजोरियां हम दूसरों को बताते हैं, अपने दुख-दर्द हम दूसरों को बताते हैं।

Mar 31, 2018 / 04:42 pm

सुनील शर्मा

param pujya

Muni Pujya Sagar Maharaj

– मुनि पूज्य सागर महाराज

यह हमने-आपने, सभी ने अपने जीवन में अनुभव किया होगा कि दुनिया में ऐसे बहुत सारे काम हैं जो होते-होते रह जाते हैं। कई बार ऐसा भी होता है कि हमें लगता है कि बस यह काम होने वाला है यानी वह काम अपनी पूर्णता के अंतिम पायदान पर पहुंच जाता है और फिर अचानक कुछ ऐसा होता है कि वह काम पूरा नहीं हो पाता। ऐसी कई मुसीबतें हमारे जीवन में यदा-कदा आती रहती हैं। उनसे निपटने के लिए हम संघर्ष करते हैं, काम पूरे नहीं होने पर दुखी होते हैं और अपना यह दुख दूसरों के साथ बांटने की कोशिश भी करते हैं। दुख बांटने की यह कोशिश आज हमारे जीवन का एक हिस्सा बन गई है, हमारी चर्या में शामिल हो चुकी है और बहुत हद तक हमारी आदत में शामिल में हो चुकी है।
यह बात हमारे आचार्यों ने अपने शास्त्रों में कही है और हमने कई बार इसका अनुभव भी किया है। हम गाहे-बगाहे अपने नकारात्मक विचार दूसरों को बताते हैं, अपनी कमजोरियां हम दूसरों को बताते हैं, अपने दुख-दर्द हम दूसरों को बताते हैं। इसे एक बहुत आसान उदाहरण से समझा जा सकता है, जैसे अगर हमारा बच्चा पढ़ता नहीं है, कम नंबर लेकर आता है तो हम अपने आस-पड़ोस से लेकर सभी रिश्तेदारों को यह बात कह देते हैं कि हमारा बच्चा पढ़ता नहीं है, क्या करें हम बहुत परेशान हैं। याद रखें, यही आपकी सबसे बड़ी गलती है।
पहले तो यह केवल आपके मन में था कि आपका बच्चा पढ़ता नहीं है और आपके कहने के बाद अब वो हजार व्यक्तियों के मन की भावना है। अब उन सभी के मुंह से यही नकारात्मक बात निकल रही है और इसका सीधा असर आपके अनजाने में आपके बच्चे पर पड़ रहा है। उसके चारों ओर नकारात्मक ऊर्जा का असीम प्रवाह है। इतनी नकारात्मक ऊर्जा चारों ओर रहते हुए कोई कैसे सफल हो सकता है? दरअसल हम उस भारतीय संस्कृति के हैं, जहां हमारी हर सकारात्मक प्रार्थना स्वीकार की जाती है, चाहे हम किसी भी धर्म के हों और किसी भी धर्म स्थल पर जाकर प्रार्थना करें।
हम अपने धर्मस्थल पर सकारात्मक भावना प्रकट करते हैं तो हमें सफलता मिलती है और हम कहते हैं कि हमारी प्रार्थना स्वीकार हुई। अब आपने सभी को कह दिया कि बच्चा पढ़ता नहीं है और अब सभी के मन में आपके बच्चे के प्रति नकारात्मक भावना जागृत हो गई। जब भी वे आपके बच्चे के बारे में सोचेंगे तो नकारात्मक ही सोचेंगे और इसी का फल यह मिलेगा कि बच्चा पढऩे में कभी अच्छा नहीं होगा। आप बच्चे के बारे में नकारात्मक बात करने की बजाय उसे हौसला दें। उसके बारे में सभी से यह कहें कि बच्चा पढऩे में बहुत अच्छा है लेकिन अभी किसी कारणवश पढ़ नहीं पा रहा है। हम सकारात्मक भावना से उसे समझा सकते हैं। आप देखिएगा कि कैसे आपका बच्चा पढऩे में अच्छा हो जाता है। इसी चीज को हम एक दूसरे उदाहरण से भी समझ सकते हैं।
आज सोशल मीडिया का जमाना है और उसमें फोलोअर्स और लाइक्स का बहुत महत्व है। अगर किसी के चार करोड़ फोलोअर्स हैं तो हम भी उसके उसे न जानते हुए भी फोलोअर बन जाते हैं। हमें लगता है कि उसमें कोई न कोई बात तो होगी ही, जो उसके इतने ज्यादा फोलोअर्स हैं। अब जब वह व्यक्ति कुछ पोस्ट करता है तो उसकी बात हमारे जीवन में अपने आप उतर जाती है। कुछ ऐसा ही हमारे जीवन में है। अगर किसी के बारे में बहुत से लोग नकारात्मक सोचते हैं तो उस व्यक्ति का भला होना संभव नहीं है और अगर सकारात्मक सोचते हैं तो उस व्यक्ति का भला होने से कोई नहीं रोक सकता। जीवन में कोई काम बिगड़ रहा है तो अंतिम क्षण तक यही सोचना चाहिए कि मेरा सब कुछ अच्छा हो रहा है और यही सकारात्मक सोच आपके उस काम को सफल बनाने में सहायक होगी। जीवन में नकारात्मक ऊर्जा न आने दें।
हमारे भीतर वो शक्ति है कि हम परमात्मा बन सकते हैं तो क्या हम अपने सांसारिक कामों को सफल नहीं कर सकते? लेकिन सोच को, नकारात्मकता को लेकर जीने से जीवन भी नकारात्मक हो जाता है। हमेशा अच्छा सोचें। दिन भर अच्छा सोचें, न केवल अपने लिए, बल्कि दूसरों के लिए भी अच्छा सोचें। अपनी बात इतनी मजबूती से रखें कि कोई उस पर सवाल नहीं उठा सके। अपने अनुभव और अपने सकारात्मक उदाहरण दूसरों के सामने रखें। अपने बिगड़े कामों को आप स्वयं सुधार सकते हैं, ठीक वैसे ही जैसे कि धागे को सुलझाने के लिए उसके सिरे से पकडऩा होता है।
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