देवताओं की धरती माने जाने वाले उत्तराखंड के चंपावत जिले के हथिया नौला में यह मंदिर स्थित है। यहां के लोग बताते हैं कि यह शिवलिंग ऐसा क्यों है, इसके पीछे भी पौराणिक कथा है।
यहां के स्थानीय बताते हैं कि किसी समय यहां एक मूर्तिकार रहता था। कथा के अनुसार, एक बार मूर्ति बनाते समय उसका हाथ किसी हथियार से कट गया। गांव वाले उसका मजाक उड़ाने लगे। इससे वह नाराज होकर शिवलिंग बनाने के लिए दक्षिण दिशा की ओर चला गया। उसने एक चट्टान से शिवलिंग बनाया और वह गायब हो गया।
जब गांववालों ने शिवलिंग को देखा तो अचरज में पड़ गए। एक दिन गांव के पुरोहित ने ध्यान से देखा तो पाया कि शिवलिंग गलत बना हुआ है। दरअसल, शिवलिंग का अरघा उत्तर में न होकर दक्षिण दिशा में है।
इसके बाद पुरोहित ने गांववालों को जानकरी दी। उन्होंने बताया कि शिवलिंग का गलत निर्माण करने के कारण ही वह भाग गया है। इसके बाद से ही गांव वालों ने इसकी पूजा करना बंद कर दिया। माना जाता है कि इस शिवलिंग की पूजा करने से कोई अनहोनी हो सकती है। इसके बाद से ही यह मंदिर शिव भक्तों के लिए तरस रहा है।