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पीलीभीत

Video-96वाँ उर्से अल्लाहूॅ मियां कुल शरीफ के साथ संपन्न

शान-ओ-शौकत के साथ मनाया गया 96वाँ उर्स
देश के कई राज्यों से आए अकीदतमंद
मुल्क की तरक्क़ी के लिए हुई दुआएं

पीलीभीतDec 08, 2018 / 06:50 pm

suchita mishra

Mazar 1

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पीलीभीत। 3 दिवसीय 96वाँ उर्से अल्लाहू मियाँ अपने परंपरागत तौर तरीके से सैय्यदना हुज़ूर ताजुल औलिया कुतुबे ज़माँ सुल्तानुल आरेफीन हज़रत मौलाना अलहाज सै0 अब्दुल बसीर मियाँ उर्फ अल्लाहू मियाँ जिस नाम को शाहजी मो0 शेर मियाँ अपने मुरीद और खलीफा को पुकारते थे। इस पीलीभीत शरीफ की खानकाही सुन्नी मिशन के महान इस्लामी विद्वान तिब्बी दवाओं से इलाज के ज्ञाता का उर्स शानों शौकत के साथ सम्पन्न हुआ।

अल्लाहू मियाँ का बताया गया जीवन परिचय
आज आखिरी बढे़ कुल शरीफ में अल्लाहू मियाँ के जीवन पर अलजामेतुल कदीरिया के मुफ्ती ज़ाकिर हुसैन अशरफी क़दीरी ने अल्लाहू मियाँ की जीवनी पर रोशनी डालते हुए बताया कि अल्लाहू मियाँ का जन्म 1379 हिजरी में तोरढ़ेर शरीफ जिला मरदान सूबा सरहद, उस समय अविभाजित हिन्दुस्तान आज के पाकिस्तान में हुआ था। जन्म से आप में शाह बगदादी सै0 शाह अब्दुल क़ादिर जीलानी जिन्हें बढ़े पीर के नाम से दुनिया का इस्लाम जगत जानता है कि 5वीं नस्ल के आसार ख़जीदगी व वलीए कामिल की खुसुयते ज़ाहिर होने लगी। उन्होंने 10 साल की उम्र में कुरान हिफ्ज़ किया। बढ़े ज़मीदार परिवार से ताल्लुक रखने वाले सै0 अब्दुल बसीर मियाँ ने फारसी व अरबी की तालीम हासिल की। उनका कुव्वते हाफिज़ा इतना तेज़ था कि बुखारी शरीफ और दीनी किताबें उन्हे मुहॅ जुबानी याद थी।

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माँ की मौत के बाद मिली थी खानकाही विरासत
मुफ्ती जाकिर हुसैन ने बताया कि उनकी वालदा माजिदा के इंतेक़ाल के बाद आपको खानकाही विरासत में मिले दीनी इल्म से ख़ासकर पसमान्दा मुस्लिमों को जोढ़ने और बुज़ुर्गाने दीन की खानकाहों की ज़ियारतों पर इस्लामी विद्वानों से मिलते हुए, आपने पैदल सफर शुरू कर दिया और आपके कदम शरीफ पीलीभीत में 18 दिसम्बर 1888 को कुतुब शाहज़ी मोहम्मद शेर मियाँ से मिलने पहुँचे और बहुक्में शाहज़ी मियाँ आज की दरगाह अल्लाहू मियाँ मस्जिद में नमाज़ पढ़ाने वज़ीर मोहम्मद खाँ के मकान पर कयाम किया। यही नशीस्तगाह से बिना किसी धर्म जाति के भेदभाव उस समय घने जंगलों से घिरे चिकित्सा सुविधा के अभाव में संक्रामक रोग के शिकार गरीबों का तिब्बी इलाज व अल्लाह से दुआएं करते और लंगर खाना आबाद कर खाने रहने का इंतेजाम भी किया जाता रहा। बताते हैं कि आपकी दुआ सर पर हाथ रखने और अल्लाह के कलाम के तरवीज़ से मरीजों का दुख दूर होता था और मुरादें पूरी होती थी। यह सिलसिला फैज़ आज भी जारी है उनकी दो पीढ़ियां सै0 अब्दुल कदीर मियाँ तक बावजूद देश के बंटवारे के बाद हिन्दुस्तान में ही रहे और यह सिलसिला 17 मई 1965 तक जारी रहा। इसके बाद इनकी नस्ल ने आज भी तोरढे़र शरीफ मरदान से वीज़ा पर आना और दुआओं का सिलसिला जारी है।

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कई राज्यों से आए उलेमाओं ने भी बताई जीवनी
इस अवसर पर इन्तुजामियाँ कमेटी के सेक्रेट्री हाजी परवेज़ हनीफ ने कहा कि आज भी उनके द्वारा स्थापित बसीरतुल इस्लाम मदरसा वास्ते ज्ञान हिफ्ज़ कुरान जो उन्हीं के नाम से चलता आया है। यहां करीब के जिला बिहार, यूपी की मस्जिदों में सबसे ज्यादा हाफिज़ इमाम इसी मदरसे की देन है। इस अवसर पर दूसरे दिन दीनी तकरीरों में सूबा यूपी, दिल्ली, गुजरात आदि से आलिम मुफ्ती अब्दुल माजिद, मुफ्ती सरफराज़, मुफ्ती जहीरूल हसन, मौलाना इश्तेयाक, बाबू, रफीक अली शाह, मुफ्ती कासिमुल क़ादरी ने अल्लाहू मियाँ की जीवनी पर रोशनी डाली। उर्से अल्लाहू मियाँ के परंपरागत प्रोग्रामों में इंतेजामिया कमेटी अलजामेतुल कदीरिया तिब्बिया कालेज उर्स कमेटी के साथ सिलसिले अल्लाहू मियाँ बसीरी क़दीरी के फरोग देने वाले खलीफा हजरात हकीम मो0 अरशद अमरोहा, फिरोज मियाँ कदीरी पाकबाड़ा, सूफी मुनीर मियाँ कदीरी खानकाह बरेली, सूफी आबिद कदीरी दिल्ली, हाफिज अकरम अन्सारी कदीरी महेन्द्रनगर नेपाल, सूफी शहाबुद्दीन क़दीरी रामपुर, हबीब मियाँ पूरनपुर, क़ारी यामीन बरेली, हाफिज मोहम्मद ज़फर के अलावा अलजामेतुल कदीरिया के मुफ्ती इरशाद कदीरी, मौलाना नईम, मौलाना रईस में अल्लाहू मिया की शान में कलाम और तकरीर से नवाजा और मज़ार पर अकीदतमन्दों ने चादर चढ़ायी।

कमेटी ने साल की प्रगति रिपोर्ट की पेश
इस अवसर पर उर्स कमेटी नायव सदर नूर मोहम्मद क़दीरी अध्यक्ष व आयोजक उर्स महमूद हुसैन क़दीरी नायव सेक्रेट्री ने गत वर्ष की आमद खर्च प्रगति रिपोर्ट पेश की खादिम दानिश खान का प्रबन्धन में सहयोग इंतेजाम 3 रोजा उर्से अल्लाहू मियाँ में रहा और बड़ी संख्या में दूरदराज़ से आये हजारों संख्या में मजार शरीफ पर मोतकदीन, मुरीदीन और दीगर खानकाहों से आये सज्जादगान ने हाज़िरी दरगाह कुल शरीफ में अकीदतमन्दों ने हाज़री दर्ज करायी और अटूट लंगर में मुरीदीन ने भरपूर शिरकत मदद दी। बाद कुल तवर्रूक तक़सीम किया गया। उर्स के शान्ति पूर्ण आयोजन में जिला प्रशासन का पूर्ण सहयोग रहा, जिसके लिए धन्यवाद दिया गया।

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