ऐसे चला पता
फर्जीवाड़े का नया खेल पड़ोसी राज्य उत्तराखण्ड के किसानों का आया है, जिसकी जांच होने के बाद विभागीय अधिकारी हरकत में आए। यहां की चार गन्ना समितियों में 4817 ऐसे गन्ना किसान निकले है जिनमे कहीं किसी की ज़मीन ही नहीं है तो किसी की ज़मीन पर गन्ना नहीं और कोई तो जनपद का रहने वाला ही नहीं। जिसके बाद जिला गन्ना अधिकारी ने इन सभी किसानों के सट्टे ख़ारिज कर दिए है। किसानों ने जमीन न होते हुए भी गन्ना सट्टे के लिए ज़मीनों की फर्जी खतौनियाँ तैयार कराई, पड़ोसी राज्य उत्तराखंड़ के राजस्व अभिलेखों में दर्ज भूमि को उत्तर प्रदेश में दिखाकर कागज़ तैयार कर दिए गए। ऐसी ज़मीनों के कागज़ों पर गन्ना समितियों ने सर्वे कर उन्हें सट्टे जारी कर दिए लेकिन जब यह मामला खुला तब विभाग ने फर्जी सट्टे खतौनियाँ खारिज दीं।
यह है आंकडे़
पूरे जिले के सर्वे के बाद आंकड़े कुछ एसे निकलकर सामने आये है।
फर्जी गन्ना किसान मिले है। पीलीभीत-उत्तराखंड बार्डर की मझोला गन्ना समिति में उत्तराखंड के किसान शामिल हो गए थे। इसके अलावा बीसलपुर गन्ना समिति में पड़ोसी जनपद बरेली व शाहजहॉपुर के किसान मिले, पूरनपुर गन्ना समिति में खीरी व शाहजहॉपुर के किसान मिले व कुछ किसान ऐसे मिले जिनकी ज़मीन नहीं है और वो बंटाई पर खेत लेकर फसलें उगाते थे।
जिला गन्ना अधिकारी ने बताया
डीसीओ जीतेन्द्र मिश्रा ने बताया कि शासन के फर्जी सट्टे पर रोक लगाने के आदेशों के बाद गन्ना माफियाओं ने फिर से सर्वे के दौरान राजस्व और गन्ना विभाग के कर्मियों से साठगांठ कर मौके पर मौजूद जमीन पर अधिक गन्ना दिखाकर और बिना जमीन के ही जमीन को दर्शाकर सर्वे कराने के बाद अपना गन्ना दर्ज करा लिया। माफियाओं ने प्रदेश के बाहर की जमीन को भी यूपी में दिखा कर सर्वे करा लिया और राजस्व विभाग से मिली भगत कर यूपी राजस्व विभाग से जमीन की फर्जी खतौनी को बनवा लिया। जिसका खुलासा पीलीभीत-उत्तराखंड बार्डर की मझोला गन्ना समिति से आया है। इसके अलावा बीसलपुर गन्ना समिति में पड़ोसी जनपद बरेली व शाहजहॉपुर के किसान मिले, पूरनपुर गन्ना समिति में खीरी व शाहजहॉपुर के किसान मिले व कुछ किसान ऐसे मिले जिनकी ज़मीन नहीं है और वो बंटाई पर खेत लेकर फसलें उगाते थे। ऐसे सभी गन्ना किसानों का सट्टा खारिज कर दिया गया है।