। गौरतलब है कि AAP विधायकों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर केंद्र की अधिसूचना को रद्द करने की मांग की थी। याचिका पर जस्टिस संजीव खन्ना और चंदर शेखर की पीठ ने विधायकों, चुनाव आयोग और अन्य पार्टियों की ओर से हुई बहस के बाद 28 फरवरी को फैसला सुरक्षित रख लिया था।
आप का चुनाव आयोग पर आरोप गौरतलब है कि दिल्ली सरकार और आप का आरोप है कि चुनाव आयोग ने केन्द्र के इशारे पर ऐसा किया है। चुनाव आयोग के सुझावों पर राष्ट्रपति ने अपने विवेक से
काम न लेकर दबाव में मंजूरी दी । राष्ट्रपति को ऐसा करने से पहले आप के विधायकों को सफाई देने का अवसर देना चाहिए। उन्होंने ऐसा नहीं किया।
ये भी पढ़ें: AAP विधायक आयोग्यता मामले में चुनाव आयोग का जवाब, कहा-याचिका सुनवाई लायक ही नहीं राष्ट्रपति ने भी चुनाव आयोग के फैसले पर लगाई मुहर दरअसल चुनाव आयोग के बाद राष्ट्रपति ने भी आप के 20 विधायकों को अयोग्य करार दिया। इससे पहले चुनाव आयोग से 20 विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने के फैसले को चुनौती देने हाईकोर्ट पहुंची ‘आप’ को करारी फटकार मिली। वहीं आप की अर्जी पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि आप वक्त रहते चुनाव आयोग क्यों नहीं गए, इतना समय गुजर जाने के बाद भी आपने नोटिस का जवाब तक देना ठीक नहीं समझा। अब तक कहां थे आप, हम कुछ नहीं कर सकते हाईकोर्ट की जस्टिस गीता मित्तल की अगुवाई वाली पीठ ने आप की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि जब बुलाने के बाद भी आप आयोग नहीं पहुंचे तो अब चुनाव आयोग इस मामले पर फैसला लेने के लिए स्वतंत्र हैं। ऐसे में हम आपकी फौरी तौर पर कोई मदद नहीं कर सकते हैं।