हाजीपुर और सारण का रण है खास, उत्तराधिकारी चमकेंगे या डूबेगी RJD और LJP की नैया!
सारण लोकसभा सीट से लालू प्रसाद के समधी चंद्रिका राय चुनाव लड़ रहे हैं
हाजीपुर लोकसभा सीट से रामविलास पासवान के भाई पशुपति पारस चुनावी मैदान में हैं
दोनों दिग्गज नेताओं की दांव पर लगी है साख
5वें चरण में दो सीटें हैं सबसे खास, नए उत्तराधिकारियों का होगा राजतिलक या डूबेगी RJD और LJP की नैया!
नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव (Loksabha Election) के लिए आधी लड़ाई लड़ी जा चुकी है। सोमवार को पांचवे चरण के लिए वोट डाले जाएंगे। इस चरण में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी, केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह समेत कई दिग्गज नेताओं की किस्मत दांव पर लगी हैं। लेकिन, दो सीटें ऐसी हैं जिस पर मुकाबला बेहद दिलचस्प है। क्योंकि, सवाल सीट की विरासत बचाने का है? बिहार के हाजीपुर (Hajipur) और सारण (Saran) लोकसभा सीट पांचवे चरण के लिए बेहद खास है। इन दोनों सीटों पर विरासत को बचाने के लिए जंग होनी है। सारण लोकसभा सीट राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के सुप्रीमो लालू प्रसाद की परंपरागत सीट है। जबकि, हाजीपुर लोकसभा सीट लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) सुप्रीमो रामविलास पासवान की परंपरागत सीट है। दोनों ही इस बार चुनाव मैदान से बाहर हैं और अपने नये उत्तराधिकारियों को चुनावी रणभूमि में उतारा है।
सारण सीट, बिहार सारण लोकसभा सीट लालू प्रसाद की परंपरागत सीट रही है। सारण से लालू प्रसाद सर्वाधिक चार बार चुनाव जीतकर संसद पहुंचे हैं। सबसे पहले वर्ष 1977 में वह इसी सीट से चुनाव जीतकर संसद में पहुंचे थे। उसके बाद साल 1989, 2004 और 2009 के ससंदीय चुनाव में भी लालू प्रसाद ने इस सीट से जीत हासिल की। हालांकि, इस सीट से लालू प्रसाद को हार भी मिली। सारण से पहले इस संसदीय सीट का नाम छपरा था। 2014 में लालू प्रसाद ने पत्नी राबड़ी देवी को सारण से आरजेडी उम्मीदवार घोषित किया। लेकिन, राजीव प्रताप रूडी से हार का सामना करना पड़ा। इस चुनाव में सारण सीट पर बड़ा बवाल मचा। क्योंकि, आरजेडी ने तेजप्रताप के ससुर चंद्रिका राय को यहां से अपना उम्मीदवार घोषित किया। तेजप्रताप इस फैसले नाराज भी हैं और लोगों से चंद्रिका राय को हराने की अपील भी कर रहे हैं। क्योंकि, उनक कहना है कि यह लालू जी की सीट है और परिवार का ही कोई सदस्य यहां से चुनाव लड़े। लालू की संसदीय विरासत को संभालने के लिए चुनावी मैदान में उतरे आरजेडी विधायक चंद्रिका राय का यहां से जीतना न केवल लालू के लिए, बल्कि पूरी पार्टी के लिए प्रतिष्ठा का सवाल है।
हाजीपुर सीट हाजीपुर लोकसभा सीट से एलजेपी सुप्रीमो रामविलास पासवान से चुनाव लड़ते थे। लेकिन, इस बार वह चुनावी रण से बाहर हैं। उन्होंने इस सीट से अपने छोटे भाई और अपनी पार्टी लोजपा के प्रदेश अध्यक्ष पशुपति कुमार पारस को मैदान में उतारा है। पासवान ने यहां से पहली बार साल 1977 के चुनाव में भाग्य आजमाया था। उसके बाद यहां से वह अब तक आठ बार चुनाव जीत चुके हैं। पासवान ने यहां से सर्वाधिक मतों से चुनाव जीतने का भी रिकार्ड बनाया है। चर्चा यहां तक है कि कि इस सीट के चुनाव का परिणाम न केवल गठबंधनों के विजयी सीटों में इजाफा करेगा, बल्कि यह भी तय करेगा कि पासवान की पकड़ अपने क्षेत्र में आज भी बरकरार है या उनके चुनावी रण से गायब होने के बाद पकड़ ढीली हो गई है। पशुपति पारस का मुकाबला आरजेडी के नेता शिवचंद्र राम से है। दोनों दलों ने भले ही यहां से नए प्रत्याशी उतारे हैं, लेकिन सारण से जहां लालू की प्रतिष्ठा की परीक्षा होगी, वहीं हाजीपुर के परिणाम से पासवान की सियासी ताकत भी मापे जाएंगे।
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