आपको बता दें कि पिछले एक हफ्ते में आप को यह दूसरा झटका लगा है। इससे पहले आप के कद्दावर नेता एच एस फुलका ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया था। आपको बता दें कि खैहरा पिछले कुछ समय से पार्टी से निलंबित चल रहे थे। ऐसे में कयास लगाए जा रहे थे कि वे कभी भी इस्तीफा दे सकते हैं।
यही नहीं आप से बागी हुए अन्य विधायकों ने सुखपाल खैहरा को पार्टी से इस्तीफा देकर नई पार्टी बनाने की सलाह दी है। दूसरी तरफ खैहरा के साथ बागी हुए विधायक पार्टी में रह कर ही अलग से ग्रुप बनाकर चलने पर विचार कर रहे हैं। ऐसा करके वह सुखपाल खैहरा की मदद भी करते रहेंगे और कानूनी झमेलों से भी बचे रहेंगे।
लोकसभा मतदान के मद्देनजर सुखपाल खैहरा लोगों में यह प्रभाव देना चाहते हैं कि उनके लिए पार्टी का ओहदा या विधायक ओहदा कोई मायने नहीं रखता और वह पंजाब, पंजाबी और पंजाबियत के मुद्दे पर चुनाव लड़ेंगे। खैहरा आगामी लोकसभा चुनाव में आप के सांसद भगवंत मान के मुकाबले संगरूर लोकसभा हलके से चुनाव लड़ सकते हैं।
आपको बताते चलें कि आप हाईकमान की तरफ से जुलाई २०१८ में सुखपाल खैहरा की जगह पर दलित नेता हरपाल सिंह चीमा को आप विधायक दल का नेता बनाया गया था। आप लीडरशिप के इस फैसले के विरोध में सुखपाल खैहरा ने सख्त विरोध दर्ज करवाया था।