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इलाहाबाद, फैजाबाद के बाद अब पश्चिम बंगाल राज्य का नाम बदलने की मांग तेज

पश्चिम बंगाल राज्य का नाम बदलने की मांग को लेकर ममता सरकार और तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ता सक्रिय हो गए हैं।

नई दिल्लीNov 19, 2018 / 05:05 pm

Anil Kumar

इलाहाबाद, फैजाबाद के बाद अब पश्चिम बंगाल राज्य का नाम बदलने की मांग तेज

इलाहाबाद, फैजाबाद के बाद अब पश्चिम बंगाल राज्य का नाम बदलने की उठी मांग, ममता सरकार केंद्र सरकार को भेज चुकी है सुझाव

कोलकाता। इन दिनों देशभर में भाजपा शासित राज्यों में जगहों और शहरों के नाम बदलने को लेकर राजनीति चरम पर है। जहां एक और विपक्षी सरकार पर नाम बदलने के पीछे अपनी नाकामी छुपाने का आरोप लगा रही है तो वहीं सरकार इसे इतिहास का भूल सुधार बता रही है। लेकिन इन सबके बीच अब ममता बनर्जी की सरकार भी नाम बदलने के इस सियासत में कुद पड़ी हैं। ममता सरकार शहरों और जगहों का नहीं बल्कि पश्चिम बंगाल राज्य का ही नाम बदलना चाहती है। लेकिन उनके सामने एक मजबूरी यह है कि किसी राज्य का नाम बदलने के लिए पहले केंद्र सरकार से मंजूरी लेनी पड़ती है। केंद्र सरकार इस बाबत संसद में बिल पास कराती है,और फिर राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद ही किसी राज्य का नाम बदला जा सकता है। मालूम हो कि भाजपा की उत्तर प्रदेश सरकार ने इलाहाबाद (प्रयागराज), मुगलसराय (पं. दीनदयाल उपाध्य नगर) और फैजाबाद (अयोध्या) का नाम बदल दिया है।

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पश्चिम बंगाल का क्या नाम रखना चाहती है ममता सरकार ?

आपको बता दें कि पश्चिम बंगाल का नाम बदलने को लेकर मांग धीरे-धीरे जोर पकड़ती जा रही है। ममता सरकार पश्चिम बंगाल का नाम बदलकर बांग्ला करना चाहती है या फिर पश्चिमबंगा। इस बाबत दो मौकों पर केंद्र सरकार से मांग कर चुकी है। 2011 में पहली बार पश्चिमबंगा और फिर 2016 में बांग्ला करने का सुझाव केंद्र सरकार को दे चुकी है। हालांकि दोनों बार केंद्र सरकार ने इस सुझाव को ठुकरा दिया। बता दें कि 2016 में ममता सरकार ने राज्य का नाम बदलकर बेंगॉल, बांग्ला या बंगाल करने का सुझाव दिया था तब केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार थी। लेकिन सरकार ने जब इसे ठुकरा दिया तो भाजपा सरकार पर हमला बोलते हुए ममता बनर्जी ने आरोप लगाया था कि ऐतिहासिक जगहों और संस्थानों का नाम बदलने के एकतरफा फैसले के पीछे उनका अपना हित है। उन्होंने फेसबुक पर लिखा, ‘बंगाल के संदर्भ में उनका रवैया पूरी तरह बदल जाता है।’ गौरतलब है कि ममता सरकार ने इस बाबत विधानसभा में पश्चिम बंगाल का नाम बदलकर उसे बांग्ला करने वाला अध्यादेश सर्वसम्मति से पारित बी करा लिया था। उन्होंने कहा था कि केंद्र सरकार ने तीन भाषाओं (अंग्रेजी, बंगाली और हिंदी) में इसका नाम बांग्ला रखने की सलाह थी लेकिन इसके बावजूद भी अभी तक मामला लंबित है।

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