लेकिन इस चुनाव में एक और जीत सबके लिए चौंकाने वाली रही और वो थी असदुद्दीन ओवैसी के नेतृत्व वाली एआईएमआईएम ( AIMIM ) पार्टी। इस पार्टी को भी जनता का साथ मिला और पांच सीटों पर जीत दर्ज करने में कामयाब रही।
हारे हुए योद्धा के रूप में विदा होंगे नीतीश कुमार, नैतिकता के नाते दे सकते हैं इस्तीफा ओवैसी की इस जीत का असर अब राष्ट्रीय राजनीति पर देखने को मिल सकता है, क्योंकि अपनी जीत के गद-गद ओवैसी की नजर अन्य राज्यों पर भी पड़ रही है। यही वजह है कि ओवैसी की नजर से अन्य दलों में खलबली मची हुई है।
AIMIM ने सीमांचल में 5 सीटें जीतकर सभी को चौंका दिया। चुनावी विश्लेषक भी ओवैसी की पार्टी के इस कमाल को भांप नहीं पाए। ओवैसी की झोली में इतनी सीटें आ जाएंगी इसकी उम्मीद किसी को नहीं थी। अपनी इसी जीत से खुश ओवैसी अब आगे की रणनीति में जुट गए हैं। इनमें दो राज्यों में होने वाला विधानसभा चुनाव शामिल हैं।
यूपी और बंगाल पर नजर
बीजेपी की बी पार्टी के रूप में बदनाम हो चुकी एआईएमआईएम की नजरें अब आगामी विधानसभा चुनाव पर टिकी हैं। यानी पश्चिम बंगाल और उसके बाद उत्तर प्रदेश जैसे दो बड़े प्रदेशों में ओवैसी पार्टी को मजबूत स्थिति में लाने की तैयारी कर रहे हैं।
बीजेपी की बी पार्टी के रूप में बदनाम हो चुकी एआईएमआईएम की नजरें अब आगामी विधानसभा चुनाव पर टिकी हैं। यानी पश्चिम बंगाल और उसके बाद उत्तर प्रदेश जैसे दो बड़े प्रदेशों में ओवैसी पार्टी को मजबूत स्थिति में लाने की तैयारी कर रहे हैं।
ये बोले ओवैसी
जीत से उत्साहित ओवैसी ने साफ शब्दों में कह दिया है कि बंगाल और यूपी का चुनाव भी लड़ूंगा,क्या कर लेंगे आप? चुनाव लड़ना हमारा काम है और हमें यह अधिकार लोकतंत्र ने दिया है।
जीत से उत्साहित ओवैसी ने साफ शब्दों में कह दिया है कि बंगाल और यूपी का चुनाव भी लड़ूंगा,क्या कर लेंगे आप? चुनाव लड़ना हमारा काम है और हमें यह अधिकार लोकतंत्र ने दिया है।
ये है बंगाल का गणित
आपको बता दें कि बंगाल में 30 फीसदी मुस्लिम आबादी है। यानी वोट बैंक के लिहाज से ओवैसी के लिए यहां भी अच्छा स्कोप है। मुस्लिमों को लुभाने की राजनीति में माहिर ममता के लिए ओवैसी बड़ी चुनौती बन सकते हैं। ऐसे में ममता के लिए बीजेपी के साथ-साथ ओवैसी से निपटना टेढ़ी खीर बन सकता है।
आपको बता दें कि बंगाल में 30 फीसदी मुस्लिम आबादी है। यानी वोट बैंक के लिहाज से ओवैसी के लिए यहां भी अच्छा स्कोप है। मुस्लिमों को लुभाने की राजनीति में माहिर ममता के लिए ओवैसी बड़ी चुनौती बन सकते हैं। ऐसे में ममता के लिए बीजेपी के साथ-साथ ओवैसी से निपटना टेढ़ी खीर बन सकता है।
बंगाल के चुनावी मैदान में उतरकर एक बार फिर ओवैसी बीजेपी के लिए फायदेमंद साबित हो सकते हैं, क्योंकि ममता के मुस्लिम वोट बैंक पर सेंध लगेगी और ये सीधे-सीधे बीजेपी को सत्ता के करीब ले जाने में मददगार साबित होगा।
यूपी में बसपा के साथ
ओवैसी ने बिहार में बसपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ा और कुल 6 सीटें जीतीं, इनमें 5 एआईएमआईएम ने और 1 पर बसपा को विजय मिली। अब बात यूपी की करें तो यहां भी ओवैसी बसपा के साथ आगे बढ़ सकते हैं। ऐसे में दलित और मुस्लिम वोट बैंक को यूपी में बड़ा फैक्टर माना जाता है और इसमें इन दोनों पार्टियों को अच्छा मौका मिल सकता है।
ओवैसी ने बिहार में बसपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ा और कुल 6 सीटें जीतीं, इनमें 5 एआईएमआईएम ने और 1 पर बसपा को विजय मिली। अब बात यूपी की करें तो यहां भी ओवैसी बसपा के साथ आगे बढ़ सकते हैं। ऐसे में दलित और मुस्लिम वोट बैंक को यूपी में बड़ा फैक्टर माना जाता है और इसमें इन दोनों पार्टियों को अच्छा मौका मिल सकता है।
ऐसे में ओवैसी की यूपी पर नजरें पड़ने का सबसे ज्यादा खामियाजा कांग्रेस और समाजवादी पार्टी को भुगतना पड़ सकता है। क्योंकि कांग्रेस के पास भी यहां मुस्लिम वोट बैंक अच्छा है। ऐसे में इन दलों को भी ओवैसी को ध्यान में रखते हुए अपनी रणनीति में बदलाव करने होंगे।
बिहार चुनाव में ओवैसी की पार्टी ने किया कमाल, 5 सीटों पर जीत कर सीमांचल में मारी सेंध मुस्लिमों के नेता बन रहे ओवैसी
उधर राजनीति विश्लेषक भी अब मानने लगे हैं कि मुस्लिम जनता ओवैसी को अपना नेता मान रही है। बिहार चुनाव का नतीज तो यही दर्शाता है।
उधर राजनीति विश्लेषक भी अब मानने लगे हैं कि मुस्लिम जनता ओवैसी को अपना नेता मान रही है। बिहार चुनाव का नतीज तो यही दर्शाता है।