सोनोवाल ने कहा कि असम की मुस्लिम आबादी में 1971 से 2011 की अवधि में 197.39 फीसदी का इजाफा हुआ है, जबकि हिंदुओं की जनसंख्या में महज 80.9 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा अवैध प्रवासियों को ट्रिब्यूनल एक्ट के द्वारा निष्कासित करने के आदेश के बाद इस समुदाय के 14 धार्मिक संगठन ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट(एआईयूडीएफ) बनाकर राजनीतिक ताकत हथियाने की कोशिश कर रहे हैं।
सोनोवाल ने कहाकि मुस्लिम प्रवासियों के आने और जनसंख्या बढ़ने से असम के स्थानीय मुस्लिमों की पहचान पर संकट खड़ा हो गया है। 31 दिसंबर 2014 से पहले देश में आने वाले हिंदू, सिख, जैन, पारसी और ईसाई अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने के केन्द्र सरकार के फैसले के खिलाफ किया जा रहा विरोध कांग्रेस और एआईयूडीएफ के चलते किया जा रहा है। केवल असम को ही इन अल्पसंख्यकों का भार नहीं सहना पड़ेगा बल्कि सभी राज्य इसमें हिस्सेदार होंगे।